की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

मंगलवार, 31 जनवरी 2012


गजल@ प्रभात राय भट्ट

            गजल   
आब कहिया तक  रहतै, हमर मोन उदास यौ पिया
होलीमें गाम एबैय,तोड़ब नै हमर विस्वास यौ पिया 

अहांक  ईआद  में  तर्सल जिया,बरसल नैना सं नीर
बैषाखी बीत बरषलै सावन,बुझलै नै प्यास यौ पिया

सुकसुकराती  दियाबाती, बितगेल  दष्मी  दशहरा  यौ 
छैठो में गाम नै एलौं, तोड़ी देलौं मोनक हुलास यौ पिया  

मोन भ S गेल आजित, कहिया भेटत अहाँक दुलार  यौ
एबेर फागुमें अहाँ आएब,मोन में अछि आस यौ पिया 

जौं गाम नै आएब, हमर मुइलो  मुह  देख नै पाएब
फेर ककरा संग करब, प्रीतक भोग विलास यो पिया 
....................वर्ण:-२१..............................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें