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शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

श्रद्धांजलि ( स्वर्गीय श्री शैलेन्द्र मिश्र भाइके )

श्रद्धांजलि ( स्वर्गीय श्री  शैलेन्द्र मिश्र भाइके )
M  S अपार्टमेंट  सिविल  सर्विस  ऑफ़िसर कलव  के जी  मार्ग देल्ही
२१ दिसम्बर २०१४ 
 
१६ दिसम्बर  २०१४  के  शैलेन्द्र  मिश्र  बिमारी सं ग्रषित  के  कारन  मात्र  - ५२ वर्ष के अवस्था  में  स्वर्गवशी  भगेलहा , हुनक श्रद्धांजलि  देबाक लेल  मिथिला कला मंच आ सुगति - सोपान  के  सानिंध्य  में श्री मति - कुमकुम झा   और  A -वन फिल्ल्म  इंडिस्ट्री    के  संचालक  सुनील झा पवन के अगुवाई  में  विभिन्  प्रकार के डेल्ही   एन सी आर  में  जतेक  भी संस्था  अच्छी  हुनका  सब  के  समक्ष  शैलेन्द्र  मिश्रा नामक  बल्ड  बैंक  के योजना  बनबै  के  मार्गसं अविगत  केला ।  जे  गति शैलेद्र  भाई , हेमकान्त  झा , अंशुमाला झा  के  संग  भेल ।  ओहि विपप्ति  सं  दोसर किनको  नै  गुजरै परैं ।  कियाक  नै  हम  सब  मिल  एकटा  एहन  काज  करी  जाहिसं  मैथिलि कला मंच के हित  में राखी  हुनका  लेल  किछु  राशि निवित  राखल  जय और  ओहि  राशि  के  शैलेन्द्र  भाई  एहन  लोक  लेल  जरुरत  परला पर  मैथिल कला मंच  काम  आबैथि  ।
      
       ब्लड  बैंक के  जिम्बारी  डॉक्टर  विद्यानन्द  ठाकुर  आ  ममता  ठाकुर  जी  स्वीकार  करैत  अपन  मार्ग   सं  सब  के  अबगति  करेला ।   ओतय  दहेज़  मुक्त  मिथिला   डेल्ही  प्रभाड़ी  मदन कुमार  ठाकुर   सेहो   अप्पन  जिम्मेबारी  के  निर्वाह  करैत  डी म म  के  पूर्ण सहयोग  के  अस्वाशन  देला  ।

         आखिर मिथिला कला मंच सन  पिछरल  कियाक ? से  मैलोरंग  के  समस्त  टीमसं जानकारी  और   रहस्य मय  बात के  पूर्ण  सहयोग भेटल ।   मैथिल  कला  रंगकर्मी सं  जे  भी  जुरल  छथि  हुंकर  जिनगी  कोनो  खास  नै  कहल  जय  ओहिसं जिनगी के गुजर - वसर  नै  कैइयल जा  सकइत  अच्छी ।  ताहि  हेतु  भारत  सरकार  से  उचित न्याय  के  मांग  कइल जैय ।

        एवं प्रकारे   सेकड़ो  के  संख्या   में आवि  भाई  शैलेन्द्र के  श्रद्धांजलि  दय  प्रणाम  करैत  हुनक  आत्मा के  शांति  प्रदान  होयक  लेल   गयत्री  मन्त्र  के  उच्चारण  करैत   २ मिनट  के  मोन धारण  कइल  गेल  ।

 
   शैलेन्द्र  भाई  के  गुजरालसं खास के  कला और  साहित्य  दुनू  में  बहुत  नुकसान  अच्छी ।   कही  नै  सकैत  छी  कतेको   शैलेन्द्र भाई  के  चेला  रंग कर्मी  कला  मंच  सं पाछू छुटी गेला ।  मिथिला  मैथिलि के प्रति  हुनक  एकटा  बस  अवाज  बानी  रही  गेल --
 हे  मिथिला  अहाँ  मरैय  सन  पहिने  हम  मरीय   जय    

गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

मिथिला महोत्सव - २०१४

मिथिला महोत्सव - २०१४
दहेज़ मुक्त  मिथिला  के  सानिध्य में  - 28  दिसम्बर - 2014  के  देहिसर  मुंबई में   मिथिला  मोहोसव के  आयोजन  होबय जा रहल  अच्छी ,  जाहि  में  अपनेक समस्त परिवार के  उपस्थिति  अनिवार्य  अच्छी  ,  दहेज़  खास क मिथिला  में एकटा  बहुत  पैघ समस्या अच्छी , जाहि  के  निवारण  हेतु , दहेज़ मुक्त मिथिला  परिवार  अपन  कर्तव्  के  पालन  करैत  बेर - बेर  देल्ही  आ   मुंबईटा  नै पूरा विस्व  में  दहेज़ समस्या के  खत्म  कराय  में  लागल  अच्छी , चाहे  नेपाल  सन  करुणा  झा  होयत या प्रवीण जी   आई  तक  अपन  कर्तवय  सं  पाछू  नै हैट पोलैथि  ,  ओहे जिम्बारी के  पालन  करैक  लेल  दहेज़ मुक्त  मिथिला  अध्यक्ष , पंकज झा (मुम्बई ) आ संरक्ष   पंडित  श्री  धर्मनद  झा  , संजय मिश्र  इतियादी  अनेको  भी  सहयोगी शामिल  छैथि , हुनक  अभिलाषा  कइ  पूरा  करैक  लेल  अपनेक  सहयोग  अनिवार्य  अच्छी  । 

याद रखाब - 28 दिसम्बर - २०१४  रवि  दिन 
जय मैथिल जय  मिथिला 

गजल

गालपर तिलबा कते शान मारैए
निकलु नै बाहर सभक जान मारैए

जतअ देखलौं अहीँपर नजरि सभकेँ 
सभ तरे तर नजरिकेँ वाण मारैए

तिर्थमे पंडित तँ मुल्ला मदीनामे
सभ अहीँकेँ राति दिन तान मारैए

अछि अहीँकेँ मोहमे बूढ़ नव डूबल
देखिते मुँह फारि मुस्कान मारैए

काज कोनो नै बनेए जँ जीवनमे
'मनु' अहीँ लग फूल आ पान मारैए

(बहरे कलीब, मात्रा क्रम : २१२२-२१२२-१२२२)

© जगदानन्द झा 'मनु'

रविवार, 21 दिसंबर 2014

भक्ति गजल


शिव केर महिमा के नै जनैत अछि
सबहक मनोरथ  पूरा करैत अछि

दिन राति भोला पीबैत भांग छथि
हुनकर चरणकेँ के नै गहैत अछि

पति ओ उमाकेँ सबहक पतित हरन 
भोला हमर सबकेँ दुख हरैत अछि

बसहा सवारी बघछाल अंगपर
शमशानमे रहि दुनियाँ हँकैत अछि

नै मूँगबा खाजा चाहिएनि जल
‘मनु’ आक धथुरसँ हिनका पबैत अछि

(मात्रा क्रम : २२१२-२२२१-२१२) 
© जगदानन्द झा 'मनु'

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

मैयाक गीत

मैया मैया मैया बाजू
करेजा अपन खोलि कए
छन्नेमे मैया सबटा देखती
आँखि अपन खोलि कए 

तनसँ तँ बहुत जपलहुँ
नाम मैयाकेँ दिन राति
आबू कनी जपै छी मनसँ
आइ छी जगराताकेँ राति 

नअ पूजा नबो मैयाक
ई तँ नअ महिनाक कर्ज अछि
एकरा उतारि सकब जीवन भरि
ई तँ मनक भर्म अछि

पहिल मैया जगजननी
दोसर हमरा जे जन्म देलनि
सुख सबटा हमरा दए  
दुख अपन आँचरमे लेलनि

अपन जननीकेँ जँ दए पेलहुँ
रत्तीयो भरि जीवनमे सुख
जगजननी मैया लए लेथिन
जीवनक हमर सबटा दुख

चाहै छी जँ भक्ति आ दया  
मनसँ मैया रानीक हमसभ
ली संकल्प नहि नोर खसाएब
‘मनु’ अपन जननीक हमसभ                          
© जगदानन्द झा ‘मनु’


शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

गजल

सपना हमर हम वीर बनी
करतब करी आ धीर बनी

जे देशकेँ अपमान करै
ओकर करेजक तीर बनी

सबहक सिनेहक मीत रही
ककरो मनक नै पीर बनी

आबी समाजक काज सदति
धरतीक नै हम भीर बनी

किछु काज ‘मनु’ एहन तँ करी
मरियो क आँखिक नीर बनी

(मत्रा क्रम : २२१२-२२१-१२)
© जगदानन्द झा 'मनु'

सोमवार, 1 दिसंबर 2014

गजल

अहाँ बिनु नै सुतै नै जागैत छी हम
कही की राति कोना काटैत छी हम

अहाँक प्रेम नै बुझलहुँ संग रहितो
परोक्षमे कते छुपि कानैत छी हम

करेजा केर भीतर छबि दाबि रखने
अहीँकेँ प्राण अप्पन मानैत छी हम

बुझू नै हम खिलाड़ी एतेक कचिया
अहाँ जीती सखी तेँ हारैत  छी हम

अहाँ जगमे रही खुश जतए कतौ 'मनु'
दुआ ई मनसँ सदिखन मांगैत छी हम

(बहरे करीब, मात्रा क्रम : 1222- 1222- 2122)
जगदानन्द झा ‘मनु’