की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

रविवार, 31 मार्च 2024

गजल

हम बनब चाहै छलौं की  कि बनि गेलौं

प्रेममे प्रियतम अहीँ  केर    सनि गेलौं

 
आश जे परिवारकेँ  आब नहि रहलै

जेब खाली देख सब हीन जनि गेलै

 

सुधि रहल नै बोझ लदने अपन हमरा

प्रेम कनिको भेटते हम तँ कनि गेलौं

          

मोनकेँ भीतर घराड़ी  बसल सदिखन

छल लिखल परदेशके  देश मनि गेलौं                  

 

नेह अप्पन आब नै नेह टा रहलै

मोनमे बसि ‘मनु’ हमर साँस गनि गेलौं

 

(बहरे कलीबमात्राक्रम - 2122-2122-1222 सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु

 

मंगलवार, 26 मार्च 2024

रुबाइ

बिनु अहाँक फगुआ कतेक बेरंग अछि 

शेष बचल अहाँक यादेटा संग अछि

एही दुनियासँ  जहन अहाँ चलि गेलौं 

बुझलौं कतेक कठिन जीवनक जंग अछि                

                  ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’