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सोमवार, 25 जून 2012

प्रभाकर बाबा और सुंदर कनियाँ

मिथलांचल में ओना तऽ बाबा सब के बहुत आदर- सत्कार कैल जायत अछि, हम एहने एक प्रभाकर बाबा के हंसी भरल घटना सुना रहल छी,

प्रभाकर बाबा भाल्पट्टी गाम के रहनिहार छिया, इ झार-फुक सेहो करेत छथि ताहि लक् ई बहुत बिख्यात भऽ गेला
प्रभाकर बाबा एक दिन कोनो कारन बस बम्बई सऽ हवाई जहाज में आबि रहल छला, हुनका बगल में एक सुंदर कनियाँ के शीट छल कनियाँ सेहो आबि क हुनका बगल में बैसी गेलैन,

सुंदर कनियाँ जहाज में सफर करैत काल प्रभाकर बाबा सऽ कहलखिन बाबा आहा हमरा पर एक कृपा कऽ सकेत छी ?
प्रभाकर बाबा सुंदर कनियाँ कहलखिन आहा कहू तऽ सही हम आहा के कि मदद करू ?
कनियाँ बजली बाबा हम नै एक बहुमूल्य चीज़ लिपिस्टिकखरिद्लो हन् लेकिन ओ कस्टम के लिमिट के ऊपर भ गेल हन्
हमरा डर या जे कस्टम वला ओकरा जब्त नै कऽ लिये, आहा जे लिपिस्टिकके अपना चोंगा के अंदर नुका कऽ ल चलितो !

प्रभाकर बाबा बजला ओना तऽ आहाक मदद करे में हमरा खुशी मिलतै, मगर आहाके कही दी जे हम झूठ नहीं बाजे छी !
बाबा जी आहॅक मासूम मुह के वजह स आहाके कियो पकरत नहीं, त झूठ बाजे के सवाले नहीं उठत !
प्रभाकर बाबा कहलैथ ठीक या आहाक जे विचार .

जखन हवाई जहाज आकाश स निचा उतरल त सब कस्टम स जय लागल, कनियाँ बाबा के आगा जय देलखिन और अपने पीछा-पीछा बीदा भ गेली

कस्टम के ऑफीसर सब सवारी के जेना पुछलक ओनाही प्रभाकर बाबा स सेहो पुछलक, बाबा जी आहा गैरकानुनी तरीका स किछु छुपेलो हन् त नहीं?

प्रभाकर बाबा बजला हमरा कापर सऽ निचा ड़ाऽर (कमर) तक किछु गैरकानुनी तौर किछु नहीं छुपेलो हन् .
ऑफीसर के इ प्रभाकर बाबा जबाब किछु अजीब सन् लगले, ताहि दुआरे फेर स पुछलक, और ड़ाऽर सऽ निचा जमीन तक आहा गैरकानुनी तौर पर किछु नुकेलो हाँ कि ?

प्रभाकर बाबा बजला हां एक छोट सुंदर चीज छुपेलो हन्.... जेकर इस्तेमाल औरते टाऽ करैत अछि...लेकिन हमरा 
पास जे या ओकर इस्तेमाल अखन तक नहीं भेल हन् बुझलो कस्टम बाबु !

जोर सऽ ठहाका लगाबैत ऑफीसर कहलक, ठीक या बाबा जी आहा जा सकेऽ छी, ....दोसर आगा आबु !


*****
अजय ठाकुर (मोहन जी)

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

भक्त और भगवान - अजय ठाकुर (मोहन जी)


भक्त और भगवान के गज़ब रिश्ता अछि ई युग में
पूजा पाठ के बदला घर दुआर मँगे अछि कलयुग में
मंदिर में घंटा बजोता बहुत जोर स देखाबा के लेल
पीठ पाछु सभहक गर्दन कटे छथि ई कलयुग में 
भगवान के पता छैन हरिदम हम साथ नहीं देबैन
धरती पर तै माय-बाप के भेजला ई कलयुग में
गुमान कम नहीं होयत अछि चुटपुजिय पंडितो के 
कॉज होय त टाँका मुह फोली क मंगता कलयुग में
भक्त और भगवान के गज़ब रिश्ता अछि ई युग में
पूजा पाठ के बदला घर दुआर मँगे अछि कलयुग में

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

चंचल लड़की जेना माँ - अजय ठाकुर (मोहन जी)


मरुआ रोटी पर पोरों साग जँका होय अछी माँ
याद आबे या चौका बासन, जाँरनक चुल्हा जेना माँ
 
चिअरै के आवाज़ में गुंजल राधा मोहन हरी हरी
मुर्गा के आवाज़ सॅ खुलैतं घर कुंडा जेना माँ
 
कनियाँ,बेटी,बहिन,परोशी थोरबे-थोरबे सबमे छथि
दिन भैर जॉत् में चलैत मुशैर होय जेना माँ
 
बैँट क चेहरा , माथा आँखी नै जनलो कते गले
फॅटल पुरान गुदरी में एक चंचल लड़की जेना माँ

सोमवार, 2 जनवरी 2012

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


मुश्किल स भरल या रस्ता देखु, 
समय स दुश्मनी के अशर देखु
 
हुनका याद में राईत भैर जगलो हम,
सुतल छथि ओ घर में बेखबर देखु
 
दर्द पलक के निचा उभैर रहलैन, 
नदी में उठल कने लहर त देखु
 
के जाने छथि कैल रही या नै रही,
आए छी त कने हम्हरो दिश देखु
 
होश के बात करेत छलो उम्र भरी, 
"मोहन जी" बेहोश छथि एक नैजैर देखु