मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

सोमवार, 2 जनवरी 2012

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


मुश्किल स भरल या रस्ता देखु, 
समय स दुश्मनी के अशर देखु
 
हुनका याद में राईत भैर जगलो हम,
सुतल छथि ओ घर में बेखबर देखु
 
दर्द पलक के निचा उभैर रहलैन, 
नदी में उठल कने लहर त देखु
 
के जाने छथि कैल रही या नै रही,
आए छी त कने हम्हरो दिश देखु
 
होश के बात करेत छलो उम्र भरी, 
"मोहन जी" बेहोश छथि एक नैजैर देखु

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें