मुश्किल स भरल या रस्ता देखु, |
समय स दुश्मनी के अशर देखु |
हुनका याद में राईत भैर जगलो हम, |
सुतल छथि ओ घर में बेखबर देखु |
दर्द पलक के निचा उभैर रहलैन, |
नदी में उठल कने लहर त देखु |
के जाने छथि कैल रही या नै रही, |
आए छी त कने हम्हरो दिश देखु |
होश के बात करेत छलो उम्र भरी, |
"मोहन जी" बेहोश छथि एक नैजैर देखु |
सोमवार, 2 जनवरी 2012
गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
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