लाल ठोर कारी केश गोर
गाल बबाल करैए,
अहांक नैन कटार, करेजक निहाल करैए ।
यौवन आयल उफान देखि हिमवानों
हेरा गेल,
ओहि स ढलकइत अहाँक ओढ़नी
बबाल करैए ।
अहांक चालिक ठुमका पर
आपण हाल की कहु,
ओहि पर चौवन्नी मुस्की
सबके बेहाल करैए ।
अहांक मोहिनी मुख देखिक
ते चानो लजा गेल,
ताहि पर जुल्मी तिलबा
सजनी कमाल करैए ।
अहांक आंखिक नशा से ते “अमित” बौराये गेल,
मुदा अहाँ हेबे किनक? सब नजर सबाल करैए ।
रचनाकार--अमित मोहन झा
ग्राम- भंडारिसम(वाणेश्वरी स्थान), मनीगाछी, दरभंगा, बिहार, भारत।
नोट..... महाशय एवं महाशया से हमर ई
विनम्र निवेदन अछि जे हमर कुनो भी रचना व हमर रचना के कुनो भी अंश के प्रकाशित नहि
कैल जाय।
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