याद अहाँ के सहब कोना ,
किछु नै फुराई ये रहब कोना ,
जखन धरी रहए छै बोतल के नशा ,
तखन धरी रहए छै मदिरायल नैना ,
नशा टुटल याद आबै छी ,
भय जाइ छै नोरायल नैना . . . ।
{ अमित मिश्र }
याद अहाँ के सहब कोना ,
किछु नै फुराई ये रहब कोना ,
जखन धरी रहए छै बोतल के नशा ,
तखन धरी रहए छै मदिरायल नैना ,
नशा टुटल याद आबै छी ,
भय जाइ छै नोरायल नैना . . . ।
{ अमित मिश्र }
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें