डिमेंशिया
ओ देखलकइ शेक्सपीयर के उज्जैन मे जनमैत
आ कालिदास के 'हेमलेट' लिखैत
विद्यापतिक लिखल लैटिन नाटकक मूलप्रति ओकरे पास रहए
ओ देखलकइ गोट तोरीक लाल लाल फूल
ओ कारी गहूमक आटा पिसेलकइ
ओ उज्जर बगुलाक सवारी केलकइ
उ केवल कविता लिखलकइ
पता नइ हिंदी ,उर्दू या हरियाणवी मैथिली मे
अली सरदार जाफरी के हिंदी कवि कहबाक साहस ऐ जमाना मे ककरा छैक शमशेर
उ आदमी के आदमी कहलकइ
एक्स वा वाई गुणसूत्र नइ
पत्नी ,प्रेमिका ,मित्र सँ आगू बांधवीयो कोनो चीज छैक
हमर गवाही रंजना अरगड़े जरूर देतीह
उ अरस्तू नइ रहइ
मम्मटो नइ
मुदा कहलकइ
कविता इएह ओएह नइ
ईहो कविते थिक
आ स्मृतिक नाश डिमेंशिया नइ
समान ओएह रहए
केवल घरे बदलि गेलइ ।
(रवि भूषण पाठक)
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