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बुधवार, 25 जनवरी 2012

गजल- अमित मिश्र

कोनो परी जकाँ लागै छी अहाँ
पुनिम कए राति सन चमकै छी अहाँ

आइ राति खसतै अहाँक बिजुरी कत
सागर कए लहर जकाँ खसै-उठै छी अहाँ

गुलाब सन अहाँक ठोर आँखि झिल लागए
सावन कए मेघ घेरल जखन केश खोलै छी अहाँ

वियहुती साड़ी सींथ सिनुर अनुपम छटा देखाबै यै
चँदा लाजा कs भागल मुस्की जखन मारै छी अहाँ

कखनो कतबो ककरो क्रोध सँ होई काँपैत तन
मिठ बोल मे अमृत मिला परसै छी अहाँ

नैन मिलल तs हटै कए नाम नइ लै यै
हमर दिल कए सब कोन मे बसै छी अहाँ

किछु और लिखत "अमित " मुदा शब्द नइ भटल
ककरो सोच सँ बेसी सुन्नर लगै छी अहाँ

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