कोन अगुन अपराध हरी जी के ,
केलियन हे ऊधो ........!
ज्यूँ हम रहितऊँ बन के मयुरनी ,
कृष्ण करथि श्रिंगार मुकुट बिच ,
शोभितहूँ हे ऊधो ........!
ज्यूँ हम रहितऊँ ब्येजंत्री के माला ,
कृष्ण पहिरथी हार ह्रदय बिच रहितहूँ ,
हे ऊधो .........!
ज्यूँ हम रहितऊँ वांसक बांसुरी ,
कृष्ण करथि स्वर गान मधुर स्वर ,
बजित्हूँ हे ऊधो .......!
ज्यूँ हम रहितऊँ जल के मछली ,
कृष्ण करथि स्नान चरण हम,
छूबितऊँ हे ऊधो ....!
कोन अगुन अपराध हरी जी के ,
केलियन हे ऊधो .......!!
रूबी झा
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