हे यौ प्रियतम सरस अहाँ आएब कहिया ,
हमर मोनक आशा पूराएब कहिया ,
नीक लागए नै आब माँ बाबु के दुलार ,
अहाँ अपन प्रेमक ज्योति जरायेब कहिया ,
हे यो प्रियतम सरस ........................!
बड़देखलो बम्बई आ दिल्ली शहर ,
मधुबनी दैरभंगा घुमाएब कहिया ,
हे प्रियतम सरस ..........................!
नीक लागए नै दायेल भात आ माँछ मांगुर ,
अहाँ गरम जिलेबी खूअयेब कहिया ,
हे यो प्रियतम सरस ........................!
बनी बैसल छि ओतेय कूमुन्दनी के फूल ,
मोनक ऊपवन में बेली फूलायेब कहिया ,
हे यो प्रियतम सरस .........................!
बनी बैसल छि कहिया साँ नवकी दुलिहीन,
अहाँ नैहर साँ हमरा लो जाएब कहिया ,
हे यो प्रियतम सरस .........................!
स्वप्न देखि अहाँ छि जेना दुतिया केर चान,
अहाँ पूनम के चान बैन आएब कहिया,
हे यो प्रियतम ..............................!
बिसरल नै होइत अछि अहांक मुस्कुराबित छवि ,
अहाँ अपना संगे हमरो हंसायेब कहिया ,
हे यो प्रियतम ..............................!
निक लागए नै अहाँ बिनु कोनो श्रिंगार,
हाथ अपने अहाँ सिन्नुर लगाएब कहिया ,
हे यो प्रियतम ..............................!
अनेरो खनयेक अछि चुरी कंगन ,
हमर हाथ केर कंगन खनकएब कहिया ,
हे यो प्रियतम ..............................!
देखू प्यासे त गेल हमर अधरों सुखाई,
अपन अधर साँ अमृत पियाएब कहिया ,
हे यो प्रियतम सरस ...........................!
पत्र लिखैत-लिखैत हमर हाथो पिरायेल ,
हमर दर्दक दाम अहाँ चुकाएब कहिया ,
हे यो प्रियतम सरस अहाँ आएब कहिया !!
स्वस्नेह [रूबी झा ]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें