मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

गजल

अहाँक चमकैत बिजली सँ  काया ओई अन्हरिया राती  में 
आह ! कपार हमहुँ की पएलहुँ  मिलल जे  छाती छाती  में 

सुन्नर सलोनी मुह अहाँ केँ कारी घटा घनघोर केशक 
होस गबा बैसलौं हम अपन पैस गेल हमर छाती  में

बिसरि नै  पाबि सुतलो-जगितो ध्यान में सदिखन अहीं केँ 
अहाँक कमलिनी सुन्नर आँखि देखलौं जे नशिली राती  में 

बिधाता  बनेला  निचैन सँ   धरती पर पठबै सँ पहिले
मिलन अहाँ केँ अंग अंग में जे नहि अछि दीप आ बाती में 

सुन्नर अहाँ छी सुन्नर अछि काया अंग-अंग सुन्नर अहाँ केँ 
नै कहि सकैत छी एहि सँ बेसी अहाँक बर्णन हम पाती में 

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-२२)
जगदानन्द झा 'मनु'  : गजल संख्या-१३ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें