खेत-खडीहान उजार भेल सबटा
मिथिला हमर आई बेगार भेल सबटा|
नहि गामक हाट ओ
नहि कुजर्निक हाक ओ
नहि ककाक ठाठ ओ
मिथिलाक रित हेराय गेल सबटा|
नहि बजैत पैजनियाँ
नहि बाबी कए खेलौनियाँ
बाबा कए लाठी हेरायगेल सबटा
मिथिला हमर आई उजार भेल सबटा |
पेटक आइग में
आधुनिकता कए खाई में
बेरोजगारी कए है में
मिथिला हमर आई पलायन भेल सबटा
मिथला हमर आई उजार भेल सबटा |
*** जगदानंद झा 'मनु'
------------------------------------------------------------------------------
"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका,१५ नवम्बर २०११,में प्रकाशित
------------------------------------------------------------------------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें