मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

रविवार, 15 जनवरी 2012

गजल


की -की  बनब चाहै छलौं हम की बनि गेलौंह 
सुगँधा   अहीँ केँ  सनेह  में हम सनि गेलौंह 

आस हमर करेज केँ करेजे में रहि गेल 
अहाँक  पिआर में परि सबके जनि गेलौंह 

रहल नहि होश हमरा दुनियाँक दुख केँ 
अहाँक  लोभ में हम  भटकैत कनि गेलौंह 

सैदखन ख्याल में अहीं कए बसेने रहै छी 
सब कुछ हम अपन अहीं केँ मनि गेलौंह 

हमर स्नेह जे अहाँ सँ स्नेह नहि रहि गेल 
हमर मोन में बसि अहाँ प्राण बनि गेलौंह

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१७)
जगदानंद झा 'मनु'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें