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रविवार, 28 अप्रैल 2013

हम नारी नहि

के पतियाएत
ई कएकरा कहु
सभक आँखिमे
पसि कए कोना रहु

सदिखन आँगुर
हमरेपर उठल
कतेक परीक्षा
आबो सहु

जतए ततए हमहीँ
लूटल गेलहुँ
घर बाहर सभतरि
हमहीँ ठकेलहुँ

हम नारी नहि
नरकेँ भोग्या
सबदिन हमहीँ
जितल गेलहुँ 

झूठ्ठे घर-घर 
पूजल जाइ छी
मुड़ी मचौरि हम
भोगल जाइ छी

आबू रावण
बनि भाइ हमर
रामसँ पाछू
छुटल जाइ छी | 
*****
जगदानन्द झा ‘मनु’                        

मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

बाल कविता-परी रानी

हे परी रानी, परी रानी
चोकलेट खूब पठा दिअ
दू पाँखि, उजरा कपड़ा दऽ
अपने सन हमरो बना दिअ

सपनामे आब एनाइ छोड़ू
सदेह कोनो ठाम देखा दिअ
चान-तरेगण वा निज नगरी
उड़नखटोलापर संगे घुमा दिअ

जादू कए किछु खेल देखा कऽ
मोनक उपवन गमका दिअ
धरतीपर एक बेर आबि कऽ
दुखक सागर सुखा दिअ

अमित मिश्र
*फोटो हमर छात्रा प्रीती झा(ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल, दरभंगा ,वर्ग-5)क अछि ।हमरा नीक लागल, आशा अछि अहूँकें नीक लागत ।

रविवार, 14 अप्रैल 2013

गजल

माँ शारदे वरदान दिअ
हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ

हरि ली सभक अन्हार हम
एहन इजोतक दान दिअ

सुनि दोख हम कखनो अपन
दुख नै हुए ओ कान दिअ

गाबी अहीँकेँ  गुण सगर
सुर कन्ठ एहन तान दिअ

बुझि पुत्र ‘मनु’केँ माँ अपन
कनिको हृदयमे स्थान दिअ

(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’

गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

मिथिला में मैथिलि फिल्लमक भूमिका

मिथिला  में  मैथिलि  फिल्लमक   भूमिका --

किछु मैथिल  फिल्लम ,  जे आजुक  समय  में  मिथिला  लेल  बरदान  सवित  भसकैत  अछि , जाही  सन  भाषा  में  बढ़ोतरी  और  मनोरंजनक संग आई इन्कोम के   प्रमुख  साधन  बनत , गाम- घर  में  पसरल  भोजपुरी   के  चलन  किछु  कम  होइय्त , और मिथिला  में  मैथिलि  फिल्लम  फेस्टिवल  के  कार्य  सेहो   निम्न  होयत  से  आशा  कैल जासकैत  अछि  ,  एक   नजीर  अहूँ   दी  अहि  पर देखल जाओ   ---

1.ममता गाबै गीत  सन  सुरुवात  कैल  मैथिल  फिल्लमक  आब  अप्पन  रफ़्तार  पकैर   चुकल  अछि , ई फिल्लम  निकलला के  बद  मैथिलि  फिल्लम  पर  बरेक  जरुर  लगी  गेल् छल , मुदा  २.  सस्ता जिनगी  महाग  सेनुर  ई  साबित  केलक  जे  नै  मिथिला  में   मैथिलि फ़िल्मक बहुत  अभिलाषी  छैथि , ई  फिल्लम निकलक  बाद  किछु बिराम  जरुर  लेलक  ,मुदा  आब  निरंतरण में कत्तार लागल जैत  अछि ,  देखल  जाओ  ओहि  पर एक जानकारी ।

३. आओ पिया हमर  नगरी ४. ममता  ५ . कखन हरव दुःख मोर  ६ . दुलरुवा बाबू  ७.  सेनुरक लाज  ८ . गरीबक  बेटी ९ . सोहागिन  १ ० . सजना  के अगना में सोलहो सिंगर  १ १ . मुखिया जी  १ २ . सेन्हक  बंधन     १ ३. पिया  भेल परदेशी  १ ४ . सेनुरिया   १ ५ . सजना अहाँ बिना  १ ६ . कमला  १ ७ .  मिथिला  के  योधा  १ ८ .अफवाह   १ ९ . प्रितीया   २ ० . हम नै जयाव पिया के गाम   २ १ .  मरी गेल  बेटी  दहेजक खातिर  २ २ . सब दिन सौस के एक दिन पुतोह के  २ ३  कर्म आ  भाग्य  २ ३ . हमर गाम  अप्पन लोक   २ ४ .  चट  मगनी पट बियाह  २ ५ खुरलूची  ,

आ और  किछु  निर्माणधीन  सेहो  अछि   , जेनाकी   -  १.  सेनुरक मोल बड  अनमोल  २ . हीरो तहर दीवाना  ३ . रंगवाज  छोरा  ४ . छुटत  नै प्रेमक रंग ५ . अछिंजल  ७ . घोघ में चाँद  ८ .  हमर सोतिन   ९ . हरबरी  बियाह  कानपट्टी  सेनुर  १ ० .  छोटकी कन्या बडकी कन्या   १ १ . चैन पुर वाली  १ २ . संस्कार  १ ३  . हमरो  करा द बियाह  १ ४  . घटकैती   १ ५ सोतिनक  बेटी  इतियादी

आब अहिं  सब  कहु  मात्र  २-३  वर्ष  में  मैथिलि फिल्लम  एंडस्ट्रि  कतय  पहुँच  गेल  ,  किछु  एहो  जानकारीभेटल  हन  जे किछु कलाकार  ओ  हिंदी  और  भोजपुरी  छोरी  मैथिलि  दिस  मुहँ  मोराला हान    , ई   मिथिला  लेल  गौरव  के  बात  अछि ,  अहं  सब  एक  नजर  अहि  प्रोमो  पर सेहो  ध्यान  दी  -   जय मैथिल  जय मिथिला ,



 



मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

गजल


मृत्युक दयासँ किछु पल हँसि कऽ जीबै छै
पैंचा लऽ साँस, दिन सुख दुखसँ काटै छै

छै शेर घरहिंमे बलगर निडर बुधिगर
बाहर निकलि कुकुरकें देख भागै छै

ओझाक फेरमे जनता झड़कि रहलै
ज्ञानक किताब शाइत घून चाटै छै

सासुरक लेल केलक हवण निज इच्छा
तखनो बहुत धियाकें वैह मारै छै

जुनि आँखि आब देखैयौ अहाँ ककरो
नेना सगर भरल बंदूक राखै छै

छै पूछ मात्र ओकर एहि दुनियाँमे
जे जेब काटि बड खैरात बाँटै छै

(मुस्तफइलुन-मफाईलुन-मफाईलुन
2212-1222-1222)
अमित मिश्र

रविवार, 7 अप्रैल 2013

गजल

गजल-1.60

अम्बरमे जते तरेगण पसरल छै
ओते जनम धरि दुनू प्रेमी रहबै

ने अधलाह करब ककरो जग भरिमे
हमरो संग सब किओ नीके करतै

हँसि हँसि झाँपने कते दर्दक सागर
असगरमे नयनसँ शोणित बनि बहतै

मंगल अमर उधम भगतक जोड़े की
नव इतिहास रचि युवे अमरो बनतै

भाषा प्रीत केर जानै छी केवल
दोसर भाव "अमित" नै विचलित करतै

2221-2122-222

अमित मिश्र

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

गजल


घोड़ा जखन कोनो भऽ नाँगड़ जाइ छै
कहि ओकरा मालिक झटसँ दै बाइ छै

माए बनल फसरी तँ बाबू बोझ छथि
नव लोक सभकेँ लेल सभटा पाइ छै

घर सेबने बैसल मरदबा छै किए 
चिन्हैत सभ कनियाँक नामसँ आइ छै

कानूनकेँ रखने बुझू ताकपर जे
बाजार भरिमे ओ कहाइत भाइ छै

खाए कए मौसी हजारो मूषरी
बनि बैसलै कोना कऽ बड़की दाइ छै

पोसाकमे नेताक जिनगी भरि रहल
जीतैत मातर देशकेँ ‘मनु’ खाइ छै

(बहरे रजज, मात्रा क्रम २२१२ तीन तीन बेर) 
जगदानन्द झा ‘मनु’                

गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

सब लागल काजमे


सुक्खल झट्टा, कोकनल लकड़ी
झट्टा खा गेल उजरी बकरी
लकड़ीपर दौड़ै छै मकरी
एखन बिएलै बाछी सुनरी
पीबै मोन भरि पियर गदरी
कौआ भागल देख कऽ बदरी
सोझराबै खोंताक सब ओझरी
सुग्गा लऽ राम-नामक मोटरी
भोरे-भेर खोलै छै गठरी
अन्हारक घेंट लगेने फँसरी
सूरज दादा घुमथि सब नगरी
सब लागल काजमे एबरी
हमहूँ उठाएब पोथीक मोटरी
मुदा भूखसँ गुड़गुड़ करै अँतरी
तें पहिने खा लै छी कचरी

अमित मिश्र

सोमवार, 1 अप्रैल 2013

भगवानक लेल आइटम गर्ल


शास्त्री जी जीवन भरि भागवत कथा बाँचैत रहलाह ।आरती, चढ़ाबासँ होइ बाला आमदनीसँ मजामे जिनगी कटैत छलन्हि ।देश-विदेशमे हिनक नाम प्रसिद्ध छलन्हि मुदा किछु दिनसँ भक्तक भीड़ लगातार घटले जा रहल छल ।आब तँ एक साए आदमी पुरनाइ मोशकिल भऽ गेलै ।एहि कारणसँ आमदनी सेहो घटि गेलै ।आयोजककें घटा लागऽ लागलै ।कतबो प्रचार-प्रसार केलाक बादो परिणाम पूर्वबत रहलै ।थाकि-हारि कऽ आयोजक एकटा उपाय सोचलक जे भागवतमे रास, प्रेम आ गोपीक चर्चा तँ छैहे, किएक ने गोपीकें मंचपर उतारल जाए ।अगिला प्रचारमे शास्त्री जीक नामसँ बेसी गोपीक चर्च कएल गेल ।कथाक दिन समयसँ पहिने पण्डाल खचाखच भरि गेलै ।शास्त्री जीकें भक्तक ओर-छोर नै भेटलनि ।मोने-मोन सोचऽ लागलनि जे भगवानोकें अपन कर्म, लीला बतेबाक लेल आ कलयुगमे अपन अस्तित्व बचेबाक लेल आइटम गर्लक सहारा लेबैये टा पड़लै ।

अमित मिश्र