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रविवार, 11 जुलाई 2021

एकटा मैथिली जमेएकें उत्तर

मिथिलामे जमेएकें भोजन परसैत काल साउस पुछलथिन : "झा जी खीर खेबइ कि हलुआ..??"

जमेए : "किएक घरमे कटोरी एक्के टा छैक की ?''

गुरुवार, 20 मई 2021

गजल

अहाँ रहूँ घरे हम   ठानि अबै छी
एहि पापी पेट लेल छानि अबै छी

रोटी पर नून नै घी पीबि सपना 
हुनक भोजक मंत्र जानि अबै छी 

कमौआ पुतक लातो सोहनगर 
गरीब घरक कोड़ो गानि अबै छी 

चानि पर तेलक अभाबे केश नै
कनियाँगतक खेत फानि अबै छी 

गप्पक कोनो खतिहान नै भेलैए
'मनु' बैसू हम पीबि पानि अबे छी
(सरल वार्णिक बहर - वर्ण १३)
जगदानन्द झा 'मनु'

शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

भक्ति गजल

मैया हमर जगतारनि कल्याणी 

सबहक अहाँ सुधि लेलौं महरानी 


नै हम मिलब माँ बाटक गरदामे

चिंता किए जेकर माय भवानी  


जग ठोकरेलक सदिखन ढेपासन 

देलौं शरण निर्बलके हे दानी


दर्शन अपन दिअ हे अम्बे माता 

नै सोन झूठक चाही नै चानी


धेलक चरण 'मनुतोहर हे मैया 

नै आब जगमे ककरो हम जानी 

(मात्रा क्रम : २२१२-२२२-२२२)

जगदानन्द झा 'मनु'