मंगलवार, 31 जनवरी 2012
गजल- भास्करानन्द झा भास्कर
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गजल,
भास्करानंद झा भास्कर
गजल- भास्करानन्द झा भास्कर
बड मनभावन नयनक शोभा, काया श्याम वर्ण उत्किर्ण
सहसमुखी सौन्दर्यक अक्ष छनि, वक्ष समक्ष प्रेम उतीर्ण ।
पैघ केशक कलि फ़ूटित बनिकए खिलि प्रेमक किसलय
नख सिख दहक महक विराजत , हॄदय होयत विदिर्ण ।
मुसिक मुसिक मन उपवन विचरय सुन्दर सब नर- नारी
प्रेमालय केर छात्र गिरि कए भय जायत बहुधा अनुतीर्ण ।
प्रेम पथिक पथ जीवन बिसराए , पटकैत सदिखन माथ
बनि कवि आब सर्वत्र बौराए, दूषित देह लागै जीर्ण शीर्ण ।
- भास्कर झा 31/01/2012
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गजल,
भास्करानंद झा भास्कर
गजल
जखन सँ खसल आँचर देखलहुँ हम
तखन सँ बुझू सबटा बिसरलहुँ हम
होस रहल नै कतय छी कनिको अपन
आब तs अहीं में पूर्णतय रमलहुँ हम
दोख आँचरक नै ई खुसनसीबि हमर
मोन में अहाँ कए अपन बनेलहुँ हम
अहाँ मानु नै मानु आँचर हमहि राखब
खसै छै कतेक खसै दियौ ठानलहुँ हम
सुकोमल काया बदन सुन्नर चन्दन सँ
आँचरक बहाने अहाँ केँ जानलहुँ हम
तखन सँ बुझू सबटा बिसरलहुँ हम
होस रहल नै कतय छी कनिको अपन
आब तs अहीं में पूर्णतय रमलहुँ हम
दोख आँचरक नै ई खुसनसीबि हमर
मोन में अहाँ कए अपन बनेलहुँ हम
अहाँ मानु नै मानु आँचर हमहि राखब
खसै छै कतेक खसै दियौ ठानलहुँ हम
सुकोमल काया बदन सुन्नर चन्दन सँ
आँचरक बहाने अहाँ केँ जानलहुँ हम
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१६)
जगदानन्द झा 'मनु' : गजल संख्या-१४
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गजल,
जगदानन्द झा 'मनु'
गजल@ प्रभात राय भट्ट
गजल
आब कहिया तक रहतै, हमर मोन उदास यौ पिया
होलीमें गाम एबैय,तोड़ब नै हमर विस्वास यौ पिया
अहांक ईआद में तर्सल जिया,बरसल नैना सं नीर
बैषाखी बीत बरषलै सावन,बुझलै नै प्यास यौ पिया
सुकसुकराती दियाबाती, बितगेल दष्मी दशहरा यौ
छैठो में गाम नै एलौं, तोड़ी देलौं मोनक हुलास यौ पिया
मोन भ S गेल आजित, कहिया भेटत अहाँक दुलार यौ
एबेर फागुमें अहाँ आएब,मोन में अछि आस यौ पिया
जौं गाम नै आएब, हमर मुइलो मुह देख नै पाएब
फेर ककरा संग करब, प्रीतक भोग विलास यो पिया
....................वर्ण:-२१..............................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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