केहेन निष्ठुर जकां प्रियतम,
अपन जन के सताबे छि ,
करेय छि सिनेह अतिसय हम,
ताहि सा अहाँ क बताबे छि ,
उठे ये पीर करेजा में किएक ,
अहाँ जनि बुझी दुखाबे छि ,
सुने छि प्रेम अहाँ अप्पन ता ,
आंजुर भरी- भरी लूटाबे छि ,
आबे ये बेर जखन हम्मर ता,
देखू किय निकुती नपाबे छि ,
नै जानि कतेक निदर्दी छि अहाँ ,
सबटा बुझितो न लजाबय छि ,
बुझै छि बात ता सबटा हम,
अहाँ हमरा की सिखाबाई छि ,
रहे ये मोन टांगल कतो अहाँक,
आ प्रेम हमरा सां जताबे छि ,
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