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शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

कविता - भरल चगेंरी मुरही चुरा


                          || तिलासंक्रान्ति ||
                      " भरल चगेंरी मुरही चुरा "
                                       

उठ - उठ बौआ रै निनियाँ तोर ।
अजुका   पाबनि   भोरे   भोर ।।
पहिने  जेकियो   नहयबे  आई ।
        भेटतौ तिलबा रे मुरही लाइ ।।  उठ....

ई पावनि छी मिथिलाक पावनि
सब  पावनि   सं   बड़का  छी ।
भरल     चगेंरी      मुरही     चुरा
तिलवा   लाई   उपरका   छी ।।

उपर  देहिया  थर - थर  काँपय
        भीतर मनुआँ भेल विभोर ।।  उठ....

   चहल पहल भरि मिथिला आँगन
 अइ पावनि के  अजब मिठाई ।
आई   देत   जे   जतेक   डुब्बी
 भेटतै   ततेक   तिलबा  लाई ।।

मुन्ना   देखि  भरय   किलकारी
            जहिना वन में कोइलिक शोर ।।  उठ...

बुढ़िया   दादी   बजा   पुरोहित
छपुआ साडी   कयलक दान ।
तील चाऊर बाँटथि मिथिलानी
    एहि पावनि केर अतेक विधान ।।

     "रमण" खिचड़ी केर चारि यार संग
              परसि रहल माँ पहिर पटोर ।।  उठ......

  गीतकार
     रेवती रमण झा "रमण"
   

  


शनिवार, 20 दिसंबर 2014

मैयाक गीत

मैया मैया मैया बाजू
करेजा अपन खोलि कए
छन्नेमे मैया सबटा देखती
आँखि अपन खोलि कए 

तनसँ तँ बहुत जपलहुँ
नाम मैयाकेँ दिन राति
आबू कनी जपै छी मनसँ
आइ छी जगराताकेँ राति 

नअ पूजा नबो मैयाक
ई तँ नअ महिनाक कर्ज अछि
एकरा उतारि सकब जीवन भरि
ई तँ मनक भर्म अछि

पहिल मैया जगजननी
दोसर हमरा जे जन्म देलनि
सुख सबटा हमरा दए  
दुख अपन आँचरमे लेलनि

अपन जननीकेँ जँ दए पेलहुँ
रत्तीयो भरि जीवनमे सुख
जगजननी मैया लए लेथिन
जीवनक हमर सबटा दुख

चाहै छी जँ भक्ति आ दया  
मनसँ मैया रानीक हमसभ
ली संकल्प नहि नोर खसाएब
‘मनु’ अपन जननीक हमसभ                          
© जगदानन्द झा ‘मनु’


मंगलवार, 29 जुलाई 2014

मैयाक गीत


ई जे साँझ परलै मैया
की हमरे जीवनमे
मुनल आँखि तकबै कहिया
हमरो जीवनमे।।

सगर दुनियाँकेँ चिलका
माएक आँचर तर
हम अभागल कोना
भटकै छी दर-दर।।

घुरि, बुझि आबो आबू
'मनु' अबुद्धि नेना
अपन सिनेहसँ
किएक बिसरलहुँ ऐना।।

© जगदानन्द झा 'मनु'

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

मैयाक गीत


मैया भवानी  अलख जगेथीन
अन्न धन देथीन हमरो घर ना
नै हम रहबै लेने खाली दूबि धान

माँगै छी मैयासँ माँगक सेनूर
लाले लाल अचरीक दान
मैया करथीन हमरो कल्याण

सोन सन ललना हमरो कोरामे
देथीन मैया एक दिन ना
एबै हम संगे संग
करै लेल एहिठाम चूमान

जोगनी बनि सेबलहुँ हम
मैयाकेँ एखन धरि
वन वनसँ अनलहुँ फूल पान

मैया कनी दियौ हमरोपर धियान  

*****
जगदानन्द झा 'मनु'

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

गीत - सब दिलके पाँछा लागल रहति अछि

दिल अभागल रहति अछि , दिल पागल रहति अछि
किएक सब दिलके पाँछा लागल रहति अछि
दिल दिल होयत अछि , मासूम दिल होयति अछि
तहियो सब दिलके पाँछा लागल रहति अछि
गलती एकर एतबी दिल , दिलसॅ प्यार कएलक

गीत - अहाँक रुप चाँद सन अछि

सभ कहैत अछि अहाँक रुप चाँद सन अछि , हमरासॅ पूछू चंदा अहाँ सन अछि
सभ कहैत अछि बोली कोईली सन अछि ,नहिं कोईलीके बोली अहाँ सन अछि

फूलके महक सभसॅ नीक होयति अछि ,ओ खूशबू कहँा जे अहाँ बदनमे अछि
कथी सॅ तुलना करी अहाँ के फॅुराय नहिं अछि ,

चहटगर गीत


पोर पोर तोहर रस सॅ भरल
यौवन भेलो निखार
सोलह बरस के उमर में सभ
मांगहि छौ प्यार
अपन सजना बना ले गे हे गे गोरकी छउड़ी -2

गीत

शेर - हमरा सॅ जुनि पुछू कतेक प्रेम अछि अहाँ से 
पूछबाक अछि त दिल सॅ पूछू कतेक प्रेम अछि अहाँ से 

गीत
आबू लग त आउ हमर बात सूनू
किछु हम कही किछु अहूँ कहू
हमर मन बेचैन अछि सजनी अहाँ के लेल -2
पहिल बेर जखन हम देखलौं अहाँ के

गीत

माय बाप के सतबियँ जुनि बौआ -2
हमर बात ध्यान सॅ सुन बौआ 
माय बाप के सतबियँ जुनि बौआ
माय छथि जग में देवी , पिता छथि भगवान रौ

गीत

गे पसिनियॉ भौजी पिया दे कनीक ताड़ी गे — 4
एक लबनी ताड़ीकेँ  खातिर, किए  करे छें एना गे
तोहर हम परमामेन्ट ग्राहक , किए  करे छें एना गे — 2
काल्हि हम पाइ देबे करबो — 2 आई पिया दे उधारी गे
गे पसिनियॉ भौजी पिया दे कनीक ताड़ी गे —2
बिन ताड़ीकेँ  कोना हम जीयब , ताड़ी हमर जीवन छी
मानय हमर बात गे भौजी , ताड़ी हमर जीवन छी — 2
ताड़ी जौं नहिं पियैम आई त —2 भ जएतो मारामारी गे
गे पसिनियॉ भौजी पिया दे कनी के ताड़ी गे —2
गाछ बला जौं ताड़ी नहिं छउ , आखिसॅ पिया दे गे
पियासल हम छी जनम जनम के , आखिसॅ पिया दे गे
मिसिया भरि मुस्कान पर आशिक — 2 लिख देतौ घड़ारी गे
गे पसिनियॉ भौजी पिया दे कनी के ताड़ी गे — 4

नोट — हमर उद्धेश्य सिर्फ मनोरंजन अछि , कियो गोटे व्यक्तिगत नहिं लेति जौं किनको एतराज छन्हि त आदेश करी ई पोस्ट हटा देलि जायत । धन्यवाद

आशिक ' राज'

शनिवार, 21 सितंबर 2013

माए


कोना कए बिसरबै माए
अहाँक सिनेह ओ
आँचर तर अहाँक बसलहुँ
पिलहुँ ममताक नीर ओ

हम सुती सुखलमे
आ अहाँ तीतलमे
अपने भूखे सुति कए माए
पोसलहुँ हमरा घीमे

रौद पानि अपने सहलहुँ
हमरापर नहि आएल आँच
हम सुती राति राति भरि
अहाँक रहेए निन्न काँच

नव नव कपड़ा पएलहुँ
हम, सब पावनि तिहारमे
एक जोड़ साड़ीमे माए
अहाँक जीवन बीतल बिचारमे

सब शिक्षा सब दीक्षा
अहाँ हाथे अप्पन देलहुँ
सुख छोरि हमरा लेल
दुख सबटा अहाँ लेलहुँ

हे माए आइ धरि  
अहाँक एतेक सिनेह
छोरि अहाँ लग
दोसर कतौ नहि पेलहुँ।                       
   

रविवार, 28 जुलाई 2013

गीत




कहु  तँ अहाँ कोना रहब
की की करब यौ पाहून
बिनु जतरे हम नैहर एलहुँ
कोना अहाँ रहब यौ पाहून।।

चूल्हा पजारब कोना अहाँ कहु
कोना राति बिताएब यौ पाहून
बारीक पटूआ तिते बुझलहुँ
छूछे कोना खाएब यौ पाहून।।

लिख-लिख हमहूँ निन्न नहि परलहुँ
अहाँकेँ  सुमरै छी यौ पाहून
की अहुँ एखन जागल होएब
नै सपनामे आबि कहै छी यौ पाहून।।

शनिवार, 6 जुलाई 2013

गीत

तोहर रुप पूर्णिमा के चान गोरिया
लेलक लेलक हन सभके प्राण गोरिया -2
तोहर आँखिक तीर सभके घायल केलक
ताहु सॅ जे बचल तोहर पायल केलक
कत्ल केलक हन कातिल मुस्कान गोरिया

बुधवार, 3 जुलाई 2013

गीत


लड़का - चलय तीरथ करब चारु धाम गे बहिनी , चलय तीरथ करब चारु धाम
लड़की - मिथिला सन कोनो नहिं धाम यौ भइया , मिथिला सन कोनो नहिं धाम
लड़का - चलय तीरथ करब चारु धाम गे बहिनी , चलय तीरथ करब चारु धाम
लड़की - मिथिला सन कोनो नहिं धाम यौ भइया , मिथिला सन कोनो नहिं धाम
लड़का - पहिने जायब देखब अवधपुर -2 , जनम लेलनि  जेतह श्रीराम गे बहिना
चलय तीरथ करब चारु धाम .........................................
लड़की - अवध से  सुन्दर मिथिला नगरी -2, बहिन सीता के गाम यौ भइया
मिथिला सन कोनो नहिं धाम ..................................................
लड़का - तखन जायब मथुरा वृन्दावन - 2 , रास रचेलेनि जेतह घनष्याम गे बहिना
चलय तीरथ करब चारु धाम ......................................................
लड़की - वृन्दावन सौ सुन्दर जनकक फुलवारी -2 , सुगा पढ़य छई वेद पुरान यौ भइया
मिथिला सन कोनो नहिं धाम........................................................
लड़का - षिवके नगरी देखब काषी -2 , महादेवक प्रिय स्थान गे बहिना
चलय तीरथ करब चारु धाम ......................................................
लड़की - जाहिठाम उगना बनला महादेव - 2 , विद्यापतिके गाम यौ भइया
मिथिला सन कोनो नहिं धाम........................................................
लड़का - साँचे कराओल तु ज्ञान गे बहिनी , मिथिला सन कोनो नहिं धाम
लड़की - मिथिला सन कोनो नहिं धाम यौ भइया , मिथिला सन कोनो नहिं धाम
साथ - मिथिला सन कोनो नहिं धाम यौ भइया (गे बहिनी ) , मिथिला सन कोनो नहिं धाम - 4


लेखक - आशिक ’ राज’ 

रविवार, 19 मई 2013

आइ मिथिलामे सीया सीया शोर भऽ गेलै

आइ मिथिलामे सीया सीया शोर भऽ गेलै
राति कारी छलै से इजोर भऽ गेलै

जनकक धिया जानकी एली घर घर बाजए बधैया
छम छम नाचए बरखा रानी दूर भऽ गेलै बलैया
धरती उज्जर, हरियर कचोर भऽ गेलै
राति कारी . . . . .

उमरिक संग संग ज्ञानो बढ़ल बनली चंचल धिया
आँगुर कंगुरिया शिव धनुष उठेलनि सगरो एकर चर्चा
सीया धिया जगतमे बेजोर भऽ गेलै
राति कारी . . . .

नित दिन गौरीक पूजा कएलनि वर परमेश्वर पएलनि
त्याग तपस्या एहन देखू महलछोड़ि विपिन बौएलनि
लव-कुशक प्रेम पुरजोर भऽ गेलै
राति कारी . . . .

जानकी उत्सव आउ मनाबी बैसाखक शुक्ल नवमी
जिनकर ऋणसँ उऋण ने हेतै ई मिथिलाक धरती
"अमित" जागू नव दिवसक भोर भऽ गेलै
राति कारी . . . . .

अमित मिश्र

बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

गीत


{(बेटी अछि अहाँक गौरब भैया)-२
सुनू मिथिलाकेँ सभ मैया }-२
बेटी अछि भविष्य हमर समाजक
(नहि वेटीकेँ निरसाउ हे दैया )-२

(किएक बेटा बचैपर अहाँ उतरलहुँ)-२
यौ बेटाकेँ बाबू
बिन बेटीकेँ कोना चलत
ई देश समाज बताबू
नै बनू निर्लज्य अहाँ
काइल्ह अहुँ अपन बेटी बियाहब
जागू जागू यौ बेटीक बाबू
भाइ बहिन आ माए सब जागू

किएक मोटरी बुझि नैन्हेंटामे
बेटीक वियाह करेलहुँ
देखू ओकर जिनगीकेँ
घोर नरकमय बनेलहुँ

आब नै एहेन गल्लती करब
बेटीकेँ शिक्षित करब
माथ उठा कए ओहो चलेए
एहन सभसँ विनती करब

{(दहेज रूपी दानबकेँ हम सभ)-२
मिल कए आब जड़ाबी }-२
जे कियो दहेज माँगथि
हुनका बेटा सहीत भगाबी

(चाही त’ बेक साउंड आ आन्तरा पर नीचांक देल लाइनक प्रयोग सेहो कए सकैत छी )    
जय हो ........
जय हो .........
जय हो मिथिलाकेँ बेटीकेँ
जय हो मिथिलाक नव समाज
जय हो .....  जय हो ......      

*****
जगदानन्द झा 'मनु'           

बुधवार, 12 दिसंबर 2012

गीत- भास्करानन्द झा भास्कर


मिथिला सत्य साहित्यक भूमि, छी गीत संगीतक उर्वर भूमि
हे विद्या-बुद्धि सपन्न मैथिल ! मिथिला-सांस्कृतिक श्रॄंगार करु।

मिथिला ज्ञान विज्ञानक भूमि, छी सिद्ध साधकक तपो भूमि
हे गौतम, वशिष्ठ, कणाद सपूत ! प्रगति-पथ आविष्कार करु।

मिथिला नीति राजनीतिक भूमि, छी स्वच्छ सुनेतृत्वक भूमि
हे सहॄदय स्वच्छ मानस मैथिल ! सतत सामाजिक सुधार करु।

मिथिला आत्म अध्यात्मिक भूमि, छी अनुपम, मनोहर भूमि
हे गहन अध्ययनरत जनकपुत्र ! निरन्तर आर्थिक सुधार करु।

मिथिला अमिट संस्कारक भूमि, छी चिन्तित चिता पर भूमि
हे चीर निन्द्रामें सूतल मैथिल ! जागृत मानसिक विचार करु।

मिथिला अन्न धन-धान्यक भूमि, छी महापुरुषक कर्म भूमि
हे मरुभूमिमें लोटल मैथिल ! महत मातॄभूमिपर उपकार करु ।

मिथिला मंडन अयाचीक भूमि, छी वाचस्पति विद्यापतिक भूमि
हे बिसरल अवचेतन मैथिल ! निज मैथिली चेतना संचार करु ।


---------------------- भास्कर झा, दिसंबर 2012

बुधवार, 5 दिसंबर 2012

गीत



बड़ अजगुत भेल )2 गौरा तोर अँगनमा 
सुनू-सुनू गमकए )2 आइ पूरी पकनमा 

बड़ अजगुत भेल ) 2 गौरा तोर अँगनमा 
सुनू-सुनू गमकए ) 2 आइ पूरी पकनमा 

गौरा के एलह आइ तोर अँगनमा ) 2
देखू-देखू गमकए आइ पूरी पकनमा ) 2
कोन दिस गौरा आइ ) 2 उगलाह सूरज 
कि बिसरल हम तोर अँगनमा
बड़ अजगुत भेल ) 2 गौरा तोर अँगनमा 
सुनू-सुनू गमकए ) 2 आइ पूरी पकनमा 


सुनू सखी सुनू-सुनू )2
नहि अहाँ बिसरल, आइ हमर अँगनमा 
ओ नहि गमकए ) 2 आइ पूरी पकनमा 
लएलाह भोला आइ)2 भाँगक पुआ 
देलकन्हि हुनकर मनु भक्त दूलरुआ 
ओकरे जे रखिते ) 2 एलहुँ हे अहाँ 
आकरे ई गमक छी हे सखी सुनूने 

बड़ अजगुत भेल ) 2 गौरा तोर अँगनमा 
सुनू-सुनू गमकए ) 2 आइ पूरी पकनमा 

गुरुवार, 10 मई 2012

कलाकन्द भऽ गेलहुँ (बाल-गीत)

धिया-पुता देखिकय आनन्द भऽ गेलहुँ
लड्डू नहि जिलेबी कलाकन्द भऽ गेलहुँ

केहेन सहज मुख पर मुस्कान छै
छन मे झगड़ा छनहि मिलान छै
तीरथ बेरागन  व्यर्थ करय छी 

सद्यः धिया-पुता सोझाँ भगवान छै
हँसी खुशी देखिकय बुलन्द भऽ गेलहुँ
लड्डू नहि जिलेबी कलाकन्द भऽ गेलहुँ

बनि कियो इन्जन रेल चलाबय
कियो फूँक मारय पीपही
बजाबय
बिनु पैसा के हँसि हँसि घूमय
छन कलकत्ता दिल्ली पहुँचाबय
लागय बच्चा सँगे जुगलबन्द भऽ गेलहुँ
लड्डू नहि जिलेबी कलाकन्द भऽ गेलहुँ

कियो जोर खसलय कियो जोर हँसलय
कियो ठेलि देलकय कहुना
सम्हरलय
देखलहुँ निश्छल रूप मनोहर
सुमन अपन सब कष्ट बिसरलय
मोन साफ भेल शकरकन्द भऽ गेलहुँ
लड्डू नहि जिलेबी कलाकन्द भऽ गेलहुँ

रविवार, 22 अप्रैल 2012

कियो हमर संगी बनू

चलू ताकय छी मिलि भगवान, कियो हमर संगी बनू।
कतऽ भेटला छी फुसिये हरान, कियो हमर संगी बनू।।

कियो कहय कण-कण मे, कियो कहय मन मे।
कियो कहय गंगा मे, कियो पवन मे।
नहि भेटल कुनु पहचान, कियो हमर संगी बनू।।

सुमरय छी दुख मे, बिसरय छी सुख मे।
पूजा के भाव कतय, नामे टा मुख मे।
छथि भक्तो बहुत अनजान, कियो हमर संगी बनू।।

करू लोक सेवा, तखन भेटत मेवा।
लोक-हित काज करू, लोके छी देवा।
सुमन कत्तेक बनब नादान, कियो हमर संगी बनू।।