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रविवार, 28 जुलाई 2013

गीत




कहु  तँ अहाँ कोना रहब
की की करब यौ पाहून
बिनु जतरे हम नैहर एलहुँ
कोना अहाँ रहब यौ पाहून।।

चूल्हा पजारब कोना अहाँ कहु
कोना राति बिताएब यौ पाहून
बारीक पटूआ तिते बुझलहुँ
छूछे कोना खाएब यौ पाहून।।

लिख-लिख हमहूँ निन्न नहि परलहुँ
अहाँकेँ  सुमरै छी यौ पाहून
की अहुँ एखन जागल होएब
नै सपनामे आबि कहै छी यौ पाहून।।

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