की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

मंगलवार, 23 जुलाई 2013

बीमारी




आइ साँझू पहर सा०केँ हुनक भाए संगे गामक लेल बिदा कएला बाद हम सिगरेट खरीदक इक्षासँ अप्पन घर प्रथम तलसँ निच्चाँ उतरलहुँ किएक तँ राति भरि लेल जे सिगरेट बचा कए रखने छलहुँ आजुक राति पर्याप्त नहि होएत।
“शराब ! अओर.... नहि, सिगरेटसँ काज चलबअ परत।”
हमर शरीर एहिठाम परञ्च मोनक चिड़ै सा०केँ पाछू पाछू। हमर मोन कनिको नहि लागि रहल अछि। राति भरि आँखिमे नीन्न नहि। बर्खाक पट-पटकेँ स्वर कानमे बम जकाँ फाति रहल अछि। दूर सड़कपर चलैत गाड़ीक अबाज ओनाहिते सुनाइ दए रहल अछि। केखनो केखनो मच्छरक संगीत संगे बाहर नालीसँ फतिंगाक गाबैक अबाज, जे शाइद झींगुर हुए अथवा कोनो अओर। कीट फतिंगाक अबाज चिन्हैमे हम बड्ड नीक नहि। भोरे आठ बजे उठै बला आइ पाँचे बजे उठि कए धियापुताकेँ इस्कूल जेए लेल जगाबैए लगलहुँ। धियापुता नित्य क्रियामे लागि गेल आ हम सोचए लगलहुँ, “एसगर एना कतेक दिन, ई तँ बीमारी छी, सा०केँ बिन नहि रहैक बीमारी।”    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें