गजल-1.66
एक ठोप प्रेम चलते तड़पैत छी
मान तोहर चित्र नोरसँ पोछैत छी
प्रीतकेँ पकड़ब सहज नै आँखिसँ बुझू
सत हियाकेँ हाथ लेने हँकमैत छी
आइ बदलल सन लगै छै दुषित हवा
एक जोड़ा मोर तन-मन मिलबैत छी
सोन सन जीवन निशामे मातल रहय
तेँ उधारी माँगि दुख पिबैत छी
धातुकेँ सोना तँ बनबै छै आगिये
तेँ सिनेहक आगिमे तन जड़बैत छी
बहरे जदीद
2122-2122-2212
अमित मिश्र
रविवार, 25 अगस्त 2013
विदेह भाषा सम्मान २०१३-१४ (वैकल्पिक साहित्य अकादेमी पुरस्कारक रूपमे प्रसिद्ध)
विदेह भाषा सम्मान २०१३-१४ (वैकल्पिक साहित्य अकादेमी पुरस्कारक
रूपमे प्रसिद्ध)
२०१३ बाल साहित्य पुरस्कार – श्रीमती ज्योति
सुनीत चौधरी- “देवीजी” (बाल निबन्ध संग्रह) लेल।
२०१३ मूल पुरस्कार - श्री बेचन ठाकुरकेँ "बेटीक अपमान आ छीनरदेवी" (नाटक
संग्रह) लेल।
२०१३ युवा पुरस्कार- श्री उमेश मण्डलकेँ “निश्तुकी” (कविता संग्रह)लेल।
२०१४ अनुवाद पुरस्कार- श्री विनीत उत्पलकेँ “मोहनदास” (हिन्दी
उपन्यास श्री उदय प्रकाश)क मैथिली
अनुवाद लेल।गुरुवार, 22 अगस्त 2013
सेल्समेन
गामक दलानपर नून तेलक दुकान चलेनाहर, साहजी अपन मुस्काइत मुँह आ शांत स्वभावकेँ कारण गाम भरिमे सभक सिनेहगर बनल मुदा किछु गोटे हुनकर एहि स्वभाबकेँ कारणे हुनका हँसीक पात्र बनोने। आइ साहजी अपने किछु काजसँ बाध दिस गेल। दुकानपर हुनकर १४ बर्खक बेटा समान दैत-लैत। एकटा बिस्कुट चकलेटक सेल्समेन साइकिल ठार करैत साहजीक बेटासँ, “की रौ बौआ तोहर पगला बाबू कतए गेलखुन्ह।”
लेबल:
जगदानन्द झा 'मनु',
बीहनि कथा
गुरुवार, 15 अगस्त 2013
मैथिलपुत्र वार्षिक पुरस्कार २०१२-१३
स्वतन्त्रा दिवसकेँ पावन अबसरपर अपने सभ लोकनिकेँ मंगलमय शुभकामना
सहित बहुत हर्खक गप्प जे मैथिलपुत्र वार्षिक
पुरस्कार २०१२-१३ केर चयन भए गेल अछि। चयन
समितिमे समिलित छथि श्री उमेश मंडलजी, श्री आशीष अनचिन्हारजी आ डा० कैलाश मिश्रजी। तीनुक समक्ष बारहो
महिनाक बरहटा श्रेष्ठ रचना राखल गेल। काज कठिन छल,
तीनु
विद्वान गुरुजनकेँ अपन स्वविवेकसँ निर्णय लेबक छलनि मुदा अन्ततः एकटापर निर्णय नहि
भए सकल।
अप्रैल-२०१३मे प्रकाशित अमित
मिश्र जीक गजल आ जनवरी, २०१३मे प्रकाशित बाल मुकुन्द पाठक जीक गजल, दुनू समान अंक पाबि बराबरपर रहला कारणे दुनूकेँ समिलित रुपे
२०१२-१३ केँ वार्षिक पुरस्कारसँ सम्मानित कएल जा रहल अछि। अमित मिश्र आ वाल
मुकुन्द पाठक सहित बारहो महिनाक बारहो विजेताकेँ बधाइ संगे बर्ख भरिमे समिलित सभ
रचनाकार लोकनिकेँ बहुत-बहुत बधाइ।JJJ
शुक्रवार, 9 अगस्त 2013
घटकक जबाब
हमर तीसम बर्खमे
पुछ्लन्हि हमरासँ
हमर घटक
बौआ,
पुछ्लन्हि हमरासँ
हमर घटक
बौआ,
अहाँ की काज करैत छी ?
लेबल:
कविता,
जगदानन्द झा 'मनु'
बुधवार, 7 अगस्त 2013
माँछक महिमा
साँझक छह बजे
पशीनासँ तरबतर सात कोस साईकिल चला कए अ०बाबू अपन बेटीक ओहिठाम पहुँचला। हुनक साईकिल केर घंटीक अबाज सुनि नाना-नाना करैत
हुनक सात बर्खक नैत हुनका लग दौरल आएल। अपन पोताक किलोल
सुनि अ०बाबूक समधि सेहो आँगनसँ निकैल दलानपर एला। दुनू समधि आमने सामने-
“नमस्कार समधि।”
लेबल:
जगदानन्द झा 'मनु',
बीहनि कथा
शनिवार, 3 अगस्त 2013
प्रेम : वरदान वा अभिशाप
गर्मीक दिन छल, साँझक समय। ऐहन
समयमे डूबैत सूरूजक दृश्ये किछु अजीब होएत अछि ,जेना किछु व्याकुल, किछु
उदास-सन,
किछु कहैत मुदा चुपे -
चाप सूरूज डूबि रहल छल । साउनक मासमे गंगाक कातसँ अथाह पानिक पाछाँ सूरूज डूबबाक
चित्रे मोनमे कए तरहक प्रश्न प्रकट कऽ दैत
सदस्यता लें
संदेश (Atom)