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शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

मनुक्ख बनब कोना?


छीः छीः धूर छीः आ छीः
मनुक्ख भ मनुक्ख सँ घृणा करैत छी
ओही परमेश्वर के बनाउल
माटिक मूरत हमहूँ छी अहूँ छी।

केकरो देह मे भिरला सँ
कियो छुबा ने जाइत अछि
आबो संकीर्ण सोच बदलू
ई गप अहाँ बुझहब कोना?

अहिं कहू के ब्राह्मण के सोल्हकन?
के मैथिल के सभ अमैथिल
सभ त मिथिलाक मैथिल छी
आबो सोच बदलू मनुक्ख बनब कोना?

अपना स्वार्थ दुआरे अहाँ
जाति-पाति के फेरी लगबैत छी
मुदा ई गप कहिया बुझहब
सभ त माँ मिथिले के संतान छी।

पाग दोपटा मोर-मुकुट
सभटा त एक्के रंग रूप छी
मिथिलाक लोक मैथिल संस्कार
एसकर केकरो बपौती नहि छी।

एकटा गप अहाँ करु धियान
सभ गोटे मिथिलाक संतान
जाति-पातिक रोग दूर भगाउ
सभ मिली कए लियअ गारा मिलान।

अपने मे झगरा-झांटी बखरा-बांटी
एहि सँ किछु भेटल नहि ने?
सोचब के फर्क अछि नहि कोनो जादू टोना
अहिं कहू आब मनुक्ख बनब कोना?

बेमतलब के गप पर यौ मैथिल
अहाँ एक दोसरा स’ झगरा करैत छी
माए जानकी दुखित भए कानि रहल छथि
ई गप किएक नहि अहाँ बुझहैत छी?

सामाजिक-आर्थिक विकास लेल काज करु
मिथिलाक माटि-पानि उन्नति करत कोना
केकरो स’ कोनो भेदभाव नहि करु
सप्पत खाउ अहाँ मनुक्ख बनब कोना?

सोमवार, 19 नवंबर 2012

घोटालाबला पाइ (हास्य कविता)


घोटालाला पा
                         (हास्य कविता)


ई पोटरी त हमरा सँ 
उठने नहि उठि रहल अछि 
कनेक अहूँ जोड़ लगा दिय भाई 
ई छी घोटालावला पाई।

हम पूछलियन ई की छी 
ओ हमरा कान में कहलनि
कोयला बेचलाहा सभटा रुपैया 
हम एही पुत्री में रखने छि .

हमरा सात पुस्त लोकक गुजर
एही रुप्पैया स चली जायत
हम धरती में पैर नहीं रोपाब आई 
इ छि घोटालावला पाई।

चुपेचाप थोड़ेक अहूँ लिय 
मुदा केकरो सँ कहबई नहि भाई 
सरकारी संपित हम केलियई राई-छाई 
इ छि घोटालावला पाई।

कोयला भूखंडक बाँट-बखरा दुआरे
मंत्रिमंडल के सर्जरी भेल 
लोक हो-हल्ला केलक मुदा 
कोयला दलाली के नफ्फा हमरे ता भेल।

फेर मंत्री पद भेटैत की नहि?
ताहि दुआरे चुपेचाप पोटरी बनेलौहं 
सभटा अपने नाम केने छि भाई 
ई छी घोटालावला पाई।

देखावटी दुआरे सरकारी खजाना  पर 
बड़का-बड़का ताला लटकने छि 
मुदा राति होएते देरी हमीह 
भेष बदली खजाना लूटि लैत छी।

मंत्रीजी के कहल के नहि मानत?
सरकारी मामला में कियक किछु बाजत?
चुपेचाप सभटा काज होयत छैक औ भाई 
 ई छी घोटालावला पाई।

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012

लोक करे लूटमार जेंका (हास्य कविता)


लोभी बैसल अछि लोभ मे जोंक जेंका
ओक्कर चालि चलब झपटमार जेंका
सरकारी खरांत लेल बेहाल भेल
लोक करे लूटमार जेंका.

लोभी लोकक भीड़ मे केकरा समझाएब
"
कारीगर" बैसल अछि चुपचाप बौक जेंका
बेईमान लोक नहि ईमानदारी सीखत?
लोक करे लूटमार जेंका.

डेग-डेग पर भ्रष्टाचारी भेटत 
ओ जाल बिछौने  बैसल अछि
चालि चलब प्रोपर्टी दलाल जेंका
लोक करे लूटमार जेंका.

सरकारी व्यबस्थाक हाल बेहाल
भ्रष्टाचारक बढ़ी गेल अछि मकड़जाल
एही ओझरी मे ओझराएल कतेक लोक
मुदा नेता नाचै अपने ताल.

जनताक नाम पर फुसियाहिंक जनसेवा
नेतागिरी के धंधा चमकि गेल
सभ खाए रहल सरकारी मेवा
जहिना बाढ़ी मे अपटल माछ कतेक रेवा.

बेमतलब के करै विदेश यात्रा
विकसित योजनाक नाम पर
बेहिंसाब खर्च करै जेना
सरकारी धन छैक ओक्कर बपौती जेंका.

बाढ़ी-सुखार सँ लोक तबाह भेल
मुदा कोनो स्थाई समाधान नहि कराउत
हवाई सर्वेक्षण मे नेता जी
फुसियांहिक बिधि टा पुराउत.

राहत आ बचाव के नाम पर
रहत पैकेजक बंदरबांट भ रहल
उज्जर कुरतावला सभ सँ आगू
ओक्कर चालि चलब झपटमार जेंका.

http://kishankarigar.blogspot.com 

मंगलवार, 2 अक्टूबर 2012

पंडा आ दलाल



एकटा गप साफे बुझहू त
ई दुनू ममिऔते पिसिऔते छि
एकटा अछि जं पंडा
त दोसर अछि दलाल.

साहित्यों आब एकरा दुनू सँ
अछूत नहि रहि गेल
पंडा बैसल अछि पटना में
त दिल्ली में बैसल अछि दलाल.

सभटा साहितिय्क आयोजन में
रहबे करत एककर सझिया-साझ
हँ ओ में छि नहियों में छि
सभटा लकरपेंच लगाबै तिकडमबाज.

की दरभंगा आ की कलकत्ता?
सभ ठाम बैसल अछि तिकडमबाज
अपना-अपना ओझरी में ओझरौत
आ सुढ़िये नहि देत कोनो काज.

पहिने ई काज हमही शुरू केलौहं
बड़-बड़ बाजै भाषाई पंडा
धू जी एककर श्रेय त हमरा
ताहि दुआरे अपस्यांत भेल दलाल.

खेमेबाजी आ गुटबाजी केलक
सत्य बजनिहार के धमकी देलक
अपना स्वार्थ दुआरे ई सभ
भाषा साहित्यक सर्वनाश करेलक.

अपने मने बड्ड नीक लगइए
मुदा आई "कारीगर" किछु बाजत
कहू औ पंडा आ दलाल
एहेन साहित्य समाज लेल कोन काजक?

साहित्य समाज जाए भांड में
एकटा दुनू के कोन काज
साहित्यक ठेकेदारी शुरू केलक
ई दुनूटा भ गेल मालामाल.

रविवार, 23 सितंबर 2012

फुसियाँहिक झगड़ा (हास्य कविता)



जतैए देखू ततैए देखब झगड़ा

बेमतलबो के होइए रगरम-रगड़ा

जातिवाद त कियो क्षेत्रवाद के नाम पर

लोक करै फुसियाँहिक झगड़ा।



चुनावी पिपही बजैते मातर

की गाम घर, आ की शहर-बज़ार

एहि सँ किछु होना ने जोना

मुदा लोक करै फुसियाँहिक झगड़ा।



फरिछा लेब, हम ई त तूं ओ

हम एहि ठामहक तूं ओई ठामहक

एक्के देशवासी रहितहु हाई रे मनुक्ख

लोक करे फुसियाँहिक झगड़ा।



अपने देश मे एक प्रांतक लोक

दोसर प्रांतक लोक के घुसपैठी कहि

खूम राजनीतिक वाहवाही लूटैए

दंगा-फसाद, आ कि-की ने करैए।



नेता सबहक करनामा देखू

ओ करैथ वोट बैंक पॉलिसी के नखरा

हुनके उकसेला पर भेल धमगिज्जर

आ लोक केलक फुसियाँहिक झगड़ा।



लोक भेल अछि अगिया बेताल

नेता नाचए अपने ताल

कछमछि धेलक चुप किएक बैसब

आऊ-आऊ बझहाउ कोनो झगड़ा।



जातिवाद के नाम पर वोट बटोरू

दंगा-फसादक मौका जुनि छोड़ू

अपना स्वार्थ दुआरे भेल छी हरान

क्षेत्रवादक आगि पर अहाँ अप्पन रोटी सेकू।



की बाबरी आ की गोधरा कांड

बेमतलब के भेल नरसंहार

कतेक मरि गेल, कतेको खबरि नहि

मुदा एखनो बझहल अछि सियासी झगड़ा।



देश समाज जाए भांड़ मे

नेता जी के कोन छनि बेगरता

जनता के बेकूफ बनाउ

हो हल्ला आ कराऊ कोनो झगड़ा।


शनिवार, 1 सितंबर 2012

फोंफ काटि रहल सरकार (हास्य कविता)


रंग विरंगक डिग्री डिप्लोमा लेने
रोड पर घूमि रहल युवक बेकार
देशक कर्ता-धर्ता चुप्पी लधने छथि
आ फोंफ काटि रहल सरकार।

बुनियादी शिक्षाक दरस एक्को मिसिया ने
खाली किताबी ज्ञान देल गेल छैक
आ परीक्षा पास कए डिग्री लेने
घूमि रहल अछि युवक बेरोजगार।

ओकरा नहि कोनो लुड़ि-भास
तोतारंटत आ परीक्षा पास
बेबहारिक जिनगी मे फेल भ गेल
कियो भूखले मरै अहाँ के कोन काज।

परीक्षा प्रणाली आ पाठ्यक्रम एहेन किएक
अहिं फरिछा के कहू औ सरकार
फुसियाँहिक डिग्री डिप्लोपा कोन काजक
कतेक लोक एखनो अछि बेकार।

कुर्सी पर बैसल छी त कोना बुझहब
कि होइत छैक लाचारी आ बेकारी
रोजगारक अवसर बंद केलियै
कतेक बढ़ि गेल अछि बेरोजगारी।

अहिंक पैरवी पैगाम सँ
अलूइड़ लोक सभ के नोकरी भेट गेल
मुदा मेहनत क पढ़निहार सभ
पक्षपात नीति दुआरे बेकार भ गेल।

दू टा पद दू लाख आवेदन कर्ता
एकटा पद मंत्री कोटा सँ
विज्ञापन पूर्व फिक्स भेल अछि
बिधपुरौआ परीक्षा टा करौताह।

मेहनत क ईमानदारी सँ
लिखित परीक्षा पास क लेब
मुदा इंटरव्यू मे अहाँ के
तेरह डिबिया तेल जरतौह।

ईमानदारी पर अड़ल रहब कारीगर
त इंटरव्यू मे कैंची चलत
योग्यता रहैतो अहाँ भ जाएब बेकार
मुदा फोंफ काटि रहल सरकार।।                 

सोमवार, 27 अगस्त 2012

घोंघाउज आ उपराउंज (हास्य कविता)


हम अहाँ के गरिअबैत छि
अहाँ हमरा गरिआउ
बेमतलब के करू उपराउंज
धक्कम-धुक्की करू खूम घोघाउंज.

कोने काजे कहाँ अछि
आब ताहि दुआरे त
आरोप-प्रत्यारोप मे ओझराएल रहू
मुक्कम-मुक्की क करू उपराउंज .

श्रेय लेबाक होड़ मचल अछि
अहाँ जूनि पछुआउ
कंट्रोवर्सी मे बनल रहू
फेसबुक पर करू खूम घोघाउंज.

मिथिला-मैथिल के नाम पर
अहाँ अप्पन रोटी सेकू
अपना-अपना चक्कर चालि मे
रंग-विरंगक गोटी फेकू.

अहाँ चक्कर चालि मे
लोक भन्ने ओझराएल अछि
अहाँ फेसबूकिया ग्रुप बनाऊ
अपनों ओझराएल रहू हमरो ओझराऊ.

ई काज हमही शुरू केलौहं
नहि नहि एक्कर श्रे त हमरा अछि
धू जी ई त फेक आई.डी छि
अहाँ माफ़ी किएक नहि मंगैत छी?

बेमतलब के बड़-बड़ बजैत छी
त अहाँ मने की हम चुप्पे रहू?
हम की एक्को रति कम छी
फेसबुक फरिछाऊ मुक्कम-मुक्की करू.

आहि रे बा बड्ड बढियां काज
गारि परहू, लगाऊ कोनो भांज
कोनो स्थाई फरिछौठ नहि करू
सभ मिली करू उपराउंज आ घोंघाउज.


बुधवार, 1 अगस्त 2012

अहींटा एकटा नीक लोक छी . (हास्य कविता)


"कारीगरकतेक दिन बाद परीक्षा पास केलक
ओ त बड्ड बुडिबक अछि
अहाँ त बड्ड पहिने बड़का हाकिम बनि गेलौहं
ताहि द्वारे अहींटा एकटा नीक लोक छी .

अहाँक सफलताक  राज त
कहियो ने कियो कही सकैत अछि
अहाँ अपने लेल हरान रहैत छी
आ अहींटा एकटा नीक लोक छी .

सर समाज सँ कोनो मतलब नहि रखलौहं
परदेश मे दूमंजिला मकान बना लेलौहं
गाम घर सँ स्नेह रखनिहर कें
अपनेमने अहाँ बुडिबक बुझहैत छी .

अप्पन सभ्यता  संस्कृति अकछाह लगइए
ओकरा अहाँ बिसरै चाहैत छी
परदेश मे रंग-बिरंगक संस्कृति मे
अहाँ के नीक लगइए खूब मगन रहैत छी.

धियो-पूता के मातृभाषा नहि सिखबैत छि
ओकरा अंग्रेजी टा बजै लेल कहैत छी
मत्रिभाषक आंदोलन चलौनिहर बुडिबक
आ अहींटा एकटा नीक लोक छी.     

गाम घर पछुआएल अछि रहिए दिऔ
नहि कोनो माने मतलब राखू
अहाँ ए.सीमे बैसल आराम करैत छि
अहींटा एकटा नीक लोक छी.

सर-समाज सँ स्नेह रखलौहं तहि द्वारे
हम बकलेल बुडिबक घोषित भेल छी
अहाँ रुपैया कम ढ़ेरी लगेलौहं
तहि द्वारे अहींटा एकटा नीक लोक छी.

खली रुपैया टा चिन्हैत छी
अहाँ बिधपुरौआ बेबहर करैत छी.
पाइए अहाँ लेल सभ किछु
आ अहीं टा एकटा नीक लोक छी.

कियो पहिने कियो बाद मे
मेहनत करनिहार त सफल हेबे करत
ओकरा अहाँ प्रोत्साहित कियक नहि करैत छी?
यौ सफलतम मनूख अहींटा एकटा नीक लोक छी
.

शनिवार, 28 जुलाई 2012

मुखिया जी देथहिन (हास्य कविता)

बेमतलब के कोनो काज राज करैत छि
हम त कहब एक्को टा खरहो ने खोंटू
अहाँ हुनका वोट द दिऔन
सब किछु त मुखिया जी देथहिन.

जबनका के बिरधा पिलसिन
बुढ़बा सब के जबनका पिलसिन
व्यर्थ समय गमाऊ त बेकारी पिलसिन
सभटा पिलसिन त मुखिया जी देथहिन.

डिग्री डिप्लोमा नहि अछि तै सँ की ?
आब पढाई लिखाई एकदम नहि करू
हरदम हुनके संपर्क में रहू
शिक्षामित्र के नोकरी त मुखिया जी देथहिन.

सरकारी खरांत हाई रे पंचायती राज
आब रही नहि गेल कोनो काज राज
बिरधा पेसन पास कराऊ कामिसन खाऊ
रुप्पैयाक बंदरबांट त मुखिया जी करथिन.

ईंटाघर वाला के इंदिरा आवास
टूटलाहा घर वाला के लागल तरास
भुखले मरी जायब त बी. प. एल.
अन्तोदय योजना में फेल भेलौहं की पास ?

अप्पन काज राज छोडि के
ब्लोकक चक्कर लगाऊ
मुखिया जी त भेंट भए जेताह
चाहो पान के खर्च त उहे देथहिन.

कमाए खटाए के अहाँ करब की ?
फुसियाँहिक हर कियक जोतब
बँटा रहल अछि सरकारी खरांत
अहाँ दौगल जाउ बाद में हमरा नहि टोकब.

मंगनी के चाउर दाइल सँ पेट भरी जायत
कहियो भुखले नहि अहाँ मरब
कोई ने अहाँ के टोके मुखिया जी ओ.के.
मुखीये जी के कहल टा अहाँ करब.

राहत पैकेज के हेरा फेरी केलन्हि
आब आंखि हुनकर चोन्हरेलैंह
सरकारी लिस्ट में अहींक नाम टा अछि
ओई पर साइन त मुखिया जी करथिहीन.

हँ मे हँ मिलाऊ (हास्य कविता)

खादिक अंगा पहिर पार्टि ऑफिस मे जल्दी आऊ
शहर बजार खूम दंगा कराऊ
करू चापलूसी एक्को रति ने लजाऊ
नेता जी के हँ मे हँ मिलाऊ।

चुनावी घोषणा भ गेल त
टिकट लेल खूम जोर लगाऊ
देखब कहिं टिकट ने कटि जाए
तहि दुआरे हुनके हँ मे हँ मिलाऊ।

एहि बेर टिकट ने भेटल त
पार्टि ऑफिस के खूम चक्कर लगाऊ
आलाकमान के गप मानू हुनका लेल जिलेबी छानू
अहाँ टिकट दुआरे हुनके हँ मे हँ मिलाऊ।।

क्षेत्रक विकास लेल त
हम ई करब ओ करब
कोनो ठीक नहि चुनाव जीतलाक बाद
अहाँ अप्पन जेबी टा भरब।।

घोषणा पत्र मे रंग बिरंगक ऑफर
चुनावी जनसभा मे खूम चिचियाउ
एलक्सन जीतलाक बाद किछु ने करू
सरकारी रूपैया सँ विदेश यात्रा पर जाऊ।।

नहि लोकसभा त विधानसभा
एहि बेर नहि त अगिला बेर
टिकट त चाहबे करी किछु करू
अहाँ कोनो बड़का नेता के पैर पकरू।।

एलक्सन लड़ब हारब की जीतब
ई त बड्ड नीक धंधा छैक
एहेन रोजगार फेर नहि भेटत
एकरा आगू आन चिज त मंदा छैक।।

जतैए देखू ततैए एलेक्सन
साहित्य खेल आ संसद भवन
सभ ठाम भेटत एकर कनेक्सन
कुर्सी भेटत कि नहि तकरे अछि टेंशन।।

देशक जनता जाए भांड़ मे
हमरा कोन अछि मतलब
अपना स्वार्थ दुआरे एलक्सन लड़ब
खुलेआम कहू एक्को रति ने लजाऊ।।

लेखक:- किशन कारीगर

मंगलवार, 19 जून 2012

पद के दुरूपयोग (हास्य कविता)

फेर भेटत नहि एहेन सुयोग
अपना स्वार्थ द्वारे कानून बनाऊ-तोरू
मनमर्जी सँ करू ओकर उपयोग
अहाँ करू अपना पद के दुरूपयोग

सत्ताक कुर्सी पर बैसल छि अहाँ
कोनो समस्या देखैत छि कहाँ
मोन मोताबिक सी.बी.आइ के करू उपयोग
अहाँ करू अपना पद के दुरूपयोग !

अरब-खरब घोटाला करू मुदा
दाँत चिआरैत तिहर जेल सँ निकलू
फेर मंत्री पद हथिआउ आ घोटाला करू
सरकारी खजाना सुडाह क बैसू !

सत्ता कुर्सी आ सरकारी धन
जन्मजात अहाँक बपौती छि
अहाँ करू एककर खूब उपयोग
करू अपना पद के दुरूपयोग

मूलभूत समस्याक समाधान किएक करब ?
एही सँ किछु ने होयत ताहि दुआरे
एहने योजना बनाऊ जाही सँ
अहाँ अप्पन जेबी टा भरब

करू अन्याय मुदा बर्दी चमकाऊ
अपनों घुस खाऊ नेताजी के सेहो खुआउ
डरे कियो किछु बाजत कोना
दमनकारी नीति अहाँ अपनाऊ

न्यायक कुर्सी बिका गेल
देशक रक्षक बनी गेल भक्षक
कागजी पन्ना पर आर्थिक योजना
आम आदमीक कष्ट बुजहब कोना

मंत्री छि लालाबती गाड़ी में घूमूं
जनताक खोज खबरि एकदम नहि करू
एक्के बेर आब अगिला इलेक्शन में
भोंट दुआरे जनता के मुहं देखू

दंगा फसाद अहींक इशारा पर
पहिने सँ फिक्स भेल अछि
वोट बैंक पोलिसी के करू उपयोग
अहाँ करू अपना पद के दुरूपयोग !!

लेखक :- किशन कारीगर

गुरुवार, 7 जून 2012

ऐना किएक ई की ? हास्य कविता

एक्के कोइख सँ जनमल दुनू
बेटा के डाक्टरी इंजीनियरिंग कराऊ
मुदा बेटी के संस्कृते सँ मध्यमा कराऊ
एहेन बेईमानी ऐना किएक ई की ?

दूल्हा अहाँ गरम-गरम खीर खाऊ
अप्पन सुखलाहा देह के फुलाऊ
दुल्हिन भुखले सन्ठी जेंका सुखाऊ
ओकरा ने अहाँ सब पढाऊ-लिखाऊ ||

बेटी के पढ़ा लिखा के करब की ?
ओकरा त चूल्हे फूकै लेल कहैत छी
मुदा बेटा के पढ़ा लिखा के
दाम दिग्गर में रुपैया खूब गनबैत छी ||

हाय रे नारा लगौनिहार सभ
कागजी पन्ना पर बेटा बेटी एक समान
मुदा असलियत में बेटा तों स्कूल जो
बेटी तों भनसा-भात के कर ओरीयान ||

दुनू त अहींक संतान छी
फेर एहेन बेईमानी ई की?
बेटियों के पढ़ा लिखा मनूख बनाऊ
अहाँ ओकरो त शिक्षित प्रशिक्षित बनाऊ ||

बेटा के पढबय के खर्चा
अहाँ बेटीवाला सँ वसूल करैत छी
हाय रे दहेज़ लोभी दलाल
अहाँ के तैयो संतोख नहि भेल ई की ?

सामाजिक विकास लेल कही लेल "कारीगर"
मुदा अहाँ इ गप किएक नहि बुझहैत छी
समाज सँ पैघ अहाँक अप्पन स्वार्थ
एहेन जुलुम ऐना किएक ई की ?

रुपैया गनै सँ नीक त ई
जे बेटी के शिक्षित बनाऊ
नहि गनाब रुपैया आ नहि केकरो सँ गनायब
एखने सभ गोटे मिली सप्पत खाऊ ||

समाज आगू बढ़त त उन्नति होयत
ई गप अहाँ किएक नहि बुझहैत छी
आबो संकीर्ण सोच बदलू
एही सँ बेसी फरिछा के "कारीगर" कहत की ?

बुधवार, 16 मई 2012

आब हम जबान भ गेलहुँ (हास्य कथा)

आब हम जबान भ गेलहुँ   
              (हास्य कथा)
समाचार पढ़ि के स्टूडियो सँ निकलले रही कि मोबाइलक घंटी बाजल हम धरफरा के फोन उठेलहुँ की ओम्हर सँ अवाज आयल हौ कारीगर आब हम जवान भ गेलहुँ। ई सुनि त हमरा किछु ने फुरा रहल छल मुदा तइयो हम सहास कए के बजलहुँ अहाँ के बाजि रहल छी। ओम्हर सँ फेर अवाज आयल हौ कारीगर एना किएक बताह जेंका बजैत छह अवाजो ने चिन्हैत छहक। कहअ त इहे गप ज कोनो बचिया तोरो फोन कए के कहने रहितह त तोरो मोन धनकुटिया मशिन जेंका धक-धक करितह। मुदा हम कहैत छियह त तों बहन्ना बतियाअैत छह।
              हम बजलहुँ से गप त ठीके मुदा अहाँ के बाजि रहल छी से कहू ने तखने चिन्हब ने कि ओम्हर सँ फेर अवाज आएल हौ बच्चा हम बाबा भोलेनाथ बाजि रहल छी तोरे स भेंट करैए लेल आएल छलहुँ। ई सुनि हम बाबा के प्रणाम कए पुछलियैन यौ बाबा अहाँ कतेए छी। ओ खिसियाअैत बजलाह हौ बच्चा हम यूनिवार्ता लक ठाढ़ भेल छी तोहर आकाशवाणीबला सभ कहलक जे बसहा बरद लए के भीतर नहि जाए देब। तहि दुआरे  हम यूनिवार्ता चलि अएलहुँ अहि ठाम कोनो रोक टोक नहि बसहो बरद मगन स घास खा रहल अछि आ हमहूँ रौद मे बैसल छी। तूं जल्दी आबह देखैत छहक सस्पेन महक चाह उधिया-उधिया कहि रहल अछि जे आब हम जवान भ गेलहु। दुनू गोटे चाहो पीअब आ गपो नाद करब।हम बजलहुँ ठीक छै बाबा अहाँ ओतए रहू हम 5 मिनट मे आबि रहल छी।
बाबा सँ भेंट करबाक लेल हम आकाशवाणी के गेट न0-2 स बाहर निकैलि रोड टपि के पीटीआई बिल्डिंग लक आएले रहि कि फेर फोनक घंटी बाजल। कान मे हेडफोन लगले रहैए बिना नम्बर देखनहियै हम फोन उठेलहुँ कि ओम्हर सँ अवाज आयल यौ किशन बौआ अहाँ कहिया गाम आबि रहल छी आब हम जवान भ गेलहुँ। हम धरफराइत बजलहुँ ग ग गोर लगैत छि काकी। ओम्हर सँ फेर कोनो महिलाक अवाज आयल अई यौ बौआ अहाँ सभ दिन बकलेले रहबैह भौजी के लोक कहूं काकी कहलकैए ओ खिखिया के हँसैत बजलीह अप्पन सप्पत कहैत छी यौ बौआ आब हम जवान भ गेलहुँ। अहाँ त साफे हमरा बिसैर गेलहुँ कहियो मोनो ने पड़ैत छी। ई सुनि त एक बेर फेर हमरा किछु ने फुरा रहल छल मुदा तइओ हम बजलहुँ अहाँ कतए स बाजि रहल छि यै काकी। महिलाक अवाज आयल यौ बौआ हम भराम वाली भाउजी बाजि रहल छी। एक्को रति मोन पड़ल ।हम अपसियाँत भेल हकमैत बजलहुँ ह ह भाउजी मोन पड़ल अच्छा त अहाँ छि भराम वाली। भाउजीक गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल हा हा क हँसैत हम बजलहुँ अई यै भाउजी अहाँक चिल्का बच्चा नमहर भ गेल आ तइयो अहाँ कहैत छी जे आब हम जवान भ गेलहुँ ठीके मे की मजाक कए रहल छी।
भाउजी खिखिया क हँसैत बजलीह अप्पन सप्पत कहैत छि यौ बौआ अहाँ एक बेर गाम आबि देखू हमरा देखि त बुढ़बो सबहक धोति निचा माथे ससैर जायत छैक। आ तहू स बेसी हाल त मैटिक वला विद्यार्थी सभहक हाल त और बेहाल छैक। टीशन पढै जायत काल हमरे घूरि घूरि क देखैत रहैत छैक आ सबटा सुध बुध बिसैर के धरफड़ा के साइकिलो पर स खसि पड़ैत छैक। सबटा गप कि कहू यौ बौआ गाम-गमाइत जेनिहार अनठिया लोक सभ त मोटरसाइकिल पर सँ ओंघरा पोंघरा के खसि पडैत छैक आ मुँहो कान चिक्कन भए जायत छैक।हम बजलहुँ अई यौ भाउजी भैया नहि किछु कहैत छथि हुनका ने किछु होइत छैन्हि। भाउजी बजलीह धू जी महराज की कहू आनहरो लोक अहाँ भैया स बेसी देखैत हेतै। पामर वला चश्मा मे एक्को रति कि अहाँ भैया के देखाइए। सबटा गप कि कहू अहाँ भैया के हकैम-हकैम के कहैत कहैत हम थाकि गेलहुँ जे आब हम जवान भ गेलहुँ। मुदा तइयो अहाँ भैया के वैहए गउलहे गीत इस्कूल पर सँ गाम आ गाम पर सँ इस्कूल सेहो आखि मुनने जाउ आ आउ। रस्ता पेरा कि सभ भेलै सेहो ने बुझबाक काज। ई गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल हा हा क हँसैत हम बजलहुँ आहि रे बा एहेन जुलुम त देखल नहि।
हमर गप सुनि भाउजि खूब जोर स खिखिया क हँसैत बजलीह जुलुम की महाजुलुम कहियोअ। ओना अहूँ कि अपना भैया स एक्को रति कम छी। अहाँ त हरदम समाचार बनबै-सुनबै मे बेहाल रहैत छी हमर हाल के पुछैए। आई काल्हि त आनहरो लोक ईशारा स गप बुझि जायत छैक मुदा अहुँक हाल त निछटे आनहर वला अछि ने गबैए जोकर ने सुनैए जोकर। अहाँ स नीक त कोनो अनठिया के कहने रैहतियै जे आब हम जवान भ गेलहुँ त निछोहे पराएल ओ गाम चलि आएल रहितैह मुदा अहाँ त गाम अएबाक नामे नहि लैत छी। हम बजलहुँ भाउजी अहाँ जुनि खिसियाउ अहि बेर नहि त अगिला बेर हम जरूर आएब आ दुनू दिअर भाउज उला ला उ ला ला मदमस्त होरी खेलाएब। एखन हम फोन राखि रहल छी केकरो फोन आबि रहल छैक। भाउजी बजलीह मारे मुँह ध के  अहूँ के मोबाइल हरदम टनटनाइते रहैए भरि मोन गप करब सेहो आफद। जहिना जवान लोक फेनाइते रहैए तहिना अहाक फोन टनटनाइते रहैए बड्ड बढ़िया त राखू।
              भाउजीक फोन डिसकनेक्ट करैते मातर फेर कोनो अनठिया नम्बर सँ फेर फोनक घंटी बाजल अवाज सुनि हमर मोन धकधकाएल जे आब फेर के अछि। हम हेल्लो बजलहुँ कि ओम्हर स अवाज आएल एकटा गप बुझहलियै अहाँ । हम बजलहुँ बिना कहनहिए अपनेमने अन्तरयामी केना बुझि जेबैए ओना कोन एहेन जुलुम भए गेलैए से जल्दीए कहू। कोनो महिलाक अवाज आयल यौ पाहुन हम कोना क कहू हमरा त लाज होइए। हम बजलहुँ अहाँ के लाजो होइए आ उल्टे हमरा पाहुनो कहैत छी। ओम्हर स फेर अवाज आयल चुपु ने अनठिया अनठा-अनठा के बजैत छी जेना अहाँ के बुझहले ने हुएअ ।हम बजलहुँ सत्ते कहैत छी हमरा त एक्को मिसीया ने बुझहल अछि जल्दी कहू। एतबाक मे फेर अवाज आयल अहा कहैत छी त हयैए लियअ सुनू आब हम जवान भ गेलहुँ। एतबाक बाजि ओ हा हा के खूब जोर स हँसैए लगलीह। हुनकर गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल मुदा तइयो हम बजलहुँ जबान भ गेलहुँ त अपना माए बाप के कहियौअ अहि मे हम कि करू। ओ बजलीह अई यौ बुढ़बा पाहुन अहूँ बरि खान्हे बुझहैत छियैक। कहू त इहो गप केकरो कहैए पड़तैह लोक अपने मने नहि बुझतैह जे घोरि घोरि के कहैए पड़तैह जे आब हम जबान भ गेलहुँ। एतबका बाजि ओ खूब जोर स हाँ हाँ के हसैए लगलीह। ओइ महिलाक हँसि सुनि त बुझहु हमर मोन धनकुटिया मशिन जेंका धक-धक करैए लागल। हकमैत हकमैत अपसियात भेल हम बजलहुँ अईं यै मैडम अहाँ जबान नहि भेलहुँ कि बुढ़ारि मे हमरा जहल टा कराएब। ओ बजलीह अईं यौ पाहुन अहाँ के डर किएक होइए एतेक काल त कोनो अनठिया गाम चलि आएल रहैतैए आ अहाँ के त होरी मे गाम अबैत बड्ड माश्चर्ज लगैए अहाँ होरी खेलाए लेल गाम आएब कि नहि। हम बजलहुँ अहाँक पाहुन से कहिया स त ओ बजलीह अईं यौ  पाहुन हम जवान भेलहु आ हमरा अहा साफे बिसैर गेलहु। हम नीलू बाजि रहल छी एक्को रति मोन पड़ल कि नहि।
  हम बजलहुँ अच्छा त अहाँ छी बड्ड जल्दी जबान भ गेलहुँ। ओ महिला बजलीह त अहाँ मने कि अगिला कोजगरा तक अहाँक बाट तकितहुँ कि अपन जबान भ गेलहुँ। आब बुढ़ लोकक जमाना गेलैए आई काल्हि त जबान लोकक जमाना एलैए बुढ़ारी मे अहाँ भसिया गेलहुँ की। हमरे छोटकी सारि नीलू छलीह। हुनकर एहेन सुनर बचन सुनि त  हम अपना देह मे अपने मने बिट्ठू काटैए लगलहु खुशि सँ मोन मयूर जेंका नाचए लागल। भेल जे सासुरे मे तिलकोरक तरूआ खा रहल छी मुदा फोन दिसि देखि इ भ्रम टूटल जे हम त संसंद मार्ग दिल्ली मे छी आ फोन पर गप कए रहल छी।  हम बजलहुँ यै नीलू ठीक छैक ई बुझहु जे अगिला होरी मे हम एब्बे टा करब एतबाक कहि हम फोन राखि देलियै।
    फोन पर गप करैते करैते हम चाह दोकान लक चलि आएल रहि सेहो नहि बुझहलियै। हमरा देखैत मातर  बाबा बजलाह अईं हौ कारीगर तोहर गप सधलहे नहि देखैत छहक तोरा फेरी मे चाहो ठंढ़ा गेल तहि दुआरे चाहो वला हमरे पर मुँह फुलेने अछि। बाबाक गप सुनि हुनका हम प्रणाम कए पुछलियैन से किएक यौ बाबा। त ओ बजलाह चाहवला के कहब छैक जे अहि दारही वला बाब दुआरे कएक टा न्यू कपल्स माने जबान छौड़ा-छौंड़ी बिना चाह पीने आपिस चलि गेलैह। आब तोंही कहअ त कारीगर छौंड़ा-छौंड़ी त अपना फेरी मे गेल चाह नहि बिकेलै त एहि मे हमर कोन दोष। चाहवला अपने मिथिला के रहैए ओकरा हम कहलियै हौ भाए दू कप चाह बनाबह  बाबा सेहो पिथहिन। हम बाबा के कहलियैन बड्ड दिन बाद अपने दिल्ली अएलहुँ त गाम घरक हाल समाचार कहू। बाबा बजलाह हौ बच्चा जुनि पुछह गाम घरक हाल बुझहक छौंड़ा छौंड़ी अगिया बेताल। हम बजलहुँ से किएक यौ बाबा त ओ बजलाह  हौ बच्चा गामो घर  रहबा जोग नहि रहि गेल। आई काल्हिक छौंड़ा छौंड़ी एकदम निरलज भए गेल एक्को रति लाज धाक नहि रहि गेलैए आब त मंदिरो मे रहब परले काल भए गेल।
हम बजलहुँ से किएक यौ बाबा त ओ बजलाह हौ बच्चा सबटा गप तोरा कि कहियअ आब त छौंड़ा मारेर सभ पूजा करैत काल  उला ला उला ला गबैत अछि एतबाक सुनैते मातर छौंड़ियो सभ कुदि-कुदि के कहतह छुबू ने छुबू हमरा आब हम जवान भ गेलहुँ। कह त के जबान के बुढ़ पुरान से त पूरा गौंआ बुझैत छैक एहि मे हल्ला करबाक कोन काज जे आब हम जबान भ गेलहुँ। देखैत छहक इ गप सुनि त बुढ़बो सबहक धोति निच्चा माथे ससैर जाएत छैक। ई भागेसर पंडा हमरा सुखचेन स नहि रहैए देत। एतबाक मे चाह वला 2 गिलास चाह देलक दुनू गोटे चाह पिबअ लगलहुँ एक घोंट चाह पिनैहे रहि कि हम पुछलियैन भागेसर कि केलक यौ बाबा। ओ बजलाह हौ कारीगर की कहियअ भागेसर पंडा त आब निरलज भ गेल। एतेक दिन ओम नमः शिवाय के जाप करैत छल आब उला ला उला ला गबै मे मगन रहैए हम जे किछु कहैत छियैक हौ भागेसर एना किएक अगिया बेताल भेल छह। त ओ हमरा कहैत अछि यौ बाबा किछु कहू ने हमरा आब हम जबान भ गेलहुँ।
 

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

अगिला अंक मे छपत (हास्य कविता)

 अगिला अंक मे छपत
(हास्य कविता)
रचना भेटल अहाँ के
मुदा अगिला अंक मे ओ छपत
बेसी फोन फान करब त
फुसयाँहिक आश्वासन टा भेटत।

अहाँ के लिखल कहाँ होइए
तयइो हमरा अहाँ तंग करैत छी
हमरा त लिखैत लिखैत आँखि चोन्हराएल
अहाँक रचना हम स्तरीय कहाँ देखैत छी।

रचना कोना क स्तरीय हेतैय सेहो त
फरिछा के अहाँ किएक नहि कहैत छी
हम रचना पर रचना पठबैत छी
मुदा अहाँ त कोनो प्रत्युतरो ने दैत छी।

हम त कहलहुँ अहाँ के लिखल ने होइए
नवसिखुआ के ने लिखबाक ढ़ग अछि
कोनो पत्रिका में त छैपिए जाएत
इहए टा एकटा भ्रम अछि।

ई भ्रम नहि सच्चाई थिक
नवसिखुओ एक दिन नीक लिखत
नहि छपबाक अछि त नहि छापू
लिखनाहर के कतेक दिन के रोकत।

संपादक छी हम अहाँ की कए लेब
मोन होएत त नहि त नै छापब
बेसी बाजब त कहि दैत छी
अहाँ के कनि दिन और टरकाएब।

रचना नुकाउ आ की हमरा टरकाऊ
आँखि तरेरू अहाँ खूम खिसियाऊ
कारीगर ने अछि डरैए वला
किएक ने अहाँ पंचैती बैसाउ।

हे यौ वरीय रचनाकार महोदय
पहिने अहुँ त नवसिखुए रही
आ कि एक्के आध टा रचना लिखी
समकालीन सर्वश्रेष्ठ बनि गेल रही।

सच गप सुनि अहाँ के तामस उठत
तहि दुआरे किछु ने कहब कविता हम लिखब
आश्वासन भेटिए गेल त आब की
ओ त अगिला अंक मे छपत।

रविवार, 8 अप्रैल 2012

अकक्ष भेल छी। (एकटा हास्य कथा)


अकक्ष भेल छी।
      (एकटा हास्य कथा)

आई दस वर्षक बाद किछु काज स दरभंगा आएल रही। भींसरे भींसरे टेन स दरभंगा स्टेशन उतरले रही कि ने की फुराएल टहलैत टहलैत विश्वविद्यालय कैंपस आबि गेलहुँ। ओतए आबिते मातर सभटा पुरना संस्मरण कॉलेजक पढ़ाई विद्यार्थी जीवनक सभटा हँसी ठीठोला श्यामा माए मंदिर के चक्कर लगाएब जस के तस मोन परि गेल। ओई दिन सोमवार रहै तहू मे सावन महीनाक सोमवारी भक्त लोकनिक भिड़ भिंसरे स बढ़ि गेल रहै की कॉलेज के विद्यार्थी धीया-पूता जवान बुढ़ पुरान सभ पूजा करै लेल अपसियाँत भेल। विशेष कऽ माधवेश्वरनाथ महादेव मंदिर मे और बेसी भीड़। श्यामा माए मंदिर लग पोखरि अछि ओतए माधवेश्वर महादेवक मंदिर सेहो छैक। ओही ठाम श्यामा माए के दर्शन कए बाबाक पूजा लेल महादेव मंदिर अएलहुँ। बाबा के जल बेलपात चढ़ा पूजा केलाक बाद मंदिर स बाहर निकैल बैग पीठ पर लए बिदा भेल रही। कैमरा गारा मे लटकले रहए बिदा होइते रही की पोखरी घाट लक बाबा भेंट भए गेलाह। ओ बजलाह हौ बच्चा के छियह कारीगर एम्हर आब। बाबाक लग मे जा हुनका प्रणाम केलियैन त ओ बजलाह नीके रहअ। अईं हौ कारीगर इ कहअ दारही कटा लेबह से नहि अहि दुआरे त चिन्हैअ में धोखा भए गेल। गारा मे कैमरा लटकल देखलिय त मोन परल जे कहीं तू दरभंगा आएल हेबह। आब ज तूं दरभंगा आबिए गेल छह त हमर पंचैती कए दैए हौ बच्चा कि कहियअ हम त अकऽक्ष भेल छी।
           बाबाक गप सुनी हमरा हँसी स रहल नही गेल। हँसैत हँसैत हम बजलहुँ अइ यौ बाबा अहाँ किएक अकऽक्ष भेल छी आ कथिक पंचैयती। बाबा तामसे अघोर भेल बजलाह अईं हौ कारीगर हम अकऽक्ष भेल छी आ तू दाँत चिआरै मे लागल छह। हम बजलहु यौ बाबा अहाँ जुनि खिसियाउ एकटा गप कहू त अहू सन औधरदानी महादेव ज अकऽक्ष भेल अछि त हमरा सभहक केहेन हाल हेतै। बाबा अपने त सौंसे दुनियाक पंचैयती करैत छी हम एकटा छोट छीन भक्त अहाँक पंचैती कोना करब। बाबा फेर बजलाह हौ बच्चा अप्पन सप्पत कहैत छियैह सत्ते मे हम बड्ड अकऽक्ष भेल छी। हम बजलहुँ यौ बाबा अकऽक्ष त हम मीडियावला सभ भेल छी ख़बर लिखैत आ संपादित करैत, एक चैनल के नोकरी छोरि दोसर चैनल के नाकरी पकड़ैत, मीर्च मसल्ला वला ख़बर बनबैत सुनबैत, चैनल मालिक के दवाब  रूआब सहैत, बौक जेंका चुपचाप अकऽक्ष भेल छी।
    हमर गप सुनि बाबा बजलाह आब हमरो गप सुनबहक की अपने टा कहबहक। हम बजलहुँ नहि यौ बाबा इहेए बात त पुछै लेए छलहुँ जे अहाँ किएक अकऽक्ष भेल छी। बाबा डमरू डूगडूगबैत बजलाह हइए लेए सुनह सबटा राम कहानी जे हम किएक अकऽक्ष भेल छी। हौ बच्चा पहिने एकटा फोटो खीच दैए ने भने चैनलो पर ब्रेकिंग न्यूज़ चला दिहक जे बाबा अकक्ष भेल छथि। लोको त बुझतै ने जे हम केहेन कष्टमय जिनगी जीबि रहल छी। हम बजलहुँ ठीक छैक बाबा अहाँ बजैत जाउ आ हम रेकड केने जाइत छी आ फोटोओ खीच दैत छी मुदा इ कहू जे आई अहाँक त्रिशूल कतए रहि गेल। बाबा अंगोछा स मुँह पुछैत बजलाह हौ कारीगर की कहियअ हौ हम जिबैत जिनगी  अकक्ष भेल छी। गणेश कार्तिक दुनू टा खूरलुच्ची हरदम लड़ाई करैत रहैए एकटा कहैत छै जे हम त्रिशूल ल के नाचब त दोसर कहैत छै जे हम डमरू बजा के नाचब। अहि कहा कही मे इ दुनू टा मुक्कम-मुक्की घिच्चा-तिरी क हमर डमरू सेहो फोरि दैत अछि। एकरा दुनू टा दुआरे हम अकक्ष छी। हौ बच्चा ततबेक नही कि कहियअ हौ नहा धोहआ के बघम्बर पसारि दैत छियैक मुदा कार्तिक के मयूर ओकरा ओई गाछ पर स ओई गाछ पर ल जा के लेरहा घोरहा दैत अछि। तै पर स गणेशक मूस ओकरा कूतैर फूतैर दैत अछि। तूही कहअ त बिना बघम्बर के कोना हम रहब कियो देखनिहार नै कोइ ने टहल टिकोरा क दैत अछि हम त तहु दुआरे अकक्ष भेल छी।
          तूहीं कहअ ने आबक धीया-पूता के लिखा पढ़ा के कि हेतै। हम बजलहुँ आब की भेल यौ बाबा। हमर गप सुनी ओ बजलाह हौ बच्चा तूं बरि खाने बुझहैत छहक कहलियअ त जे हम अपने घरक लोक स अकक्ष भेल छी। हौ बच्चा तोरा सभटा गप की कहियअ जहिया स गणेश के शिक्षामित्र के नोकरी भेटलै आ कार्तिक के पुल बनबै के सरकारी ठिकेदारी भेटलै दुनू गोटे एक्को बेर घूइरो के ने देखैत अछि जे हम जीबैत छी आ की मूइल। तही दुआरे तूंही कहअ ने एहेन धीया-पूता  कोन काजक जे बूढ़ माए बाप के बुरहारी मे मरै लेल  गाम मे असगर छोड़ि दैत अछि आ अपने नोकरी मे मगन भेल सभटा आचार-विचार बिसरैत  सामाजिक कर्तव्य सँ मुह मोड़ि लैत अछि।
      ई गप कहैत-कहैत बाबाक आखि नोरा गेलैन ओ आंखिक नोर पोछि हिंचकैत बजलाह हौ बच्चा आब बुरहारी मे गौरीए दाए टा एकमात्र सहारा। मुदा आब हुनको अवस्था भेलैन ओकरो की दोष। कहैत छियैए जे भांग पीस दियअ त गौरी दाए बजैत छथि आब हमरा भांग पीसल नहि होएत बेसी छौंक लागल अछि त चलि जाउ विश्वविद्यालय कैंपस, शंकरानंद ओइ ठाम भरि छाक भांगक लस्सी पीबि लेब। ओइ ठाम सीएम सांइस आ मारवाड़ी कॉलेज के विद्यार्थी सभ भांग खाई लेल सेहो अबैत छैक। हौ बच्चा हम त तहू दुआरे अकक्ष भेल छी। आब हम एक्को मीनट दरभंगा मे नहि रहब तूं हमरा नेने चलह अपने संगे दिल्ली। हम तोरे साउथ एक्स वला डेरा पर रहब ज जारो बोखार लागत त ओही ठाम एम्स मेडिकल लग्गे मे छै ओतए देखाइओ दिहअ। हम बजलहुँ हं हं बाबा चलू ने इ त हमर सौभाग्य जे अहाँक टहल टिकोरा करबाक हमरा अबसर भेटत।
बाबा बजलाह हौ बच्चा एकटा गप तोरा कहनाइ त बिसैरे गेलियै रूकह कनि, हइए मोन परि गेल। कारीगर सभटा गप तू की सुनबहअ हौ हम की कहियअ ई भागेसर पंडा दुआरे सेहो हम अकक्ष भेल छी। हम हुनका स पुछलियैन से किएक यौ बाबा। त ओ बजलाह हौ कि कहियअ आब महादेव मंदिर मे बोर्ड लगा देलकैयै। हम जिज्ञासावस पुछलहु कथिक बोर्ड यौ बाबा। ओ फेर बजलाह हौ बच्चा श्यामा माए मंदिर में एकटा बोर्ड लागल छैक मुंडन-51रू, यज्ञोपवित-151रू, विबाह-251रू, आ बलिप्रदान-501रू तही के देखा देखी भागेसरो हमरा मंदिर मे एकटा बोर्ड लगा देलकैए जे बाबाक स्पेशल पूजा-501रू, डमरू बजा के पूजा करब-201, दूध चढ़ाएब-151 आ भांगक स्पेशल परसादी-101रू। देखैत छहक जहिया स ई बोर्ड लगलैह तहिया स त हम और बेसी अकक्ष भेल छी।
         हम बजलहुँ से किएक यौ बाबा त ओ बजलाह कि कहियअ विद्यार्थी सभ भांगक परसादी दुआरे मंदिरे मे मुक्कम मुक्की, घिच्चम-तिरी, देह हाथ तोरा-फोरी कए लैत अछि। ततबेक नहि पिछुलका सोमवारी दिन त कि कहियअ एकरा सबहक झग्गरदन मे हमर त्रिशूल टुटि गेल हम त आब तहु दुआरे अकक्ष भेल छी। ओ सभ नीक नहाति पढ़तह नहि आ परीक्षा मे फेल भेला पर वा कम नम्बर अएला पर हमरो गरिअबैत अछि। जे हे जरलाहा महादेव केहने बेईमान छह पास करा दैतह से नहि हौ बच्चा हम त आब तहू दुआरे अकक्ष भेल छी।

लेखक:- किशन कारीगर