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रविवार, 8 दिसंबर 2024

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आइ हमहूँ खेत बोटीकेँ रोपलौं

पेट पोसै लेल झूठक हर जोतलौं

कारी कोटसँ कोटमे निसाफ ककरा

आँखि बान्हि टाका टक दफ़ा जोखलौं

                ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 


बुधवार, 4 दिसंबर 2024

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नेहमे  एतेक  लीबैत किएक छी

दुनिया पुछलनि हम जीवैत किएक छी 

ई बुझला उत्तर ‘मनु’ अहूँ जुनि पूछू 

दिन राति एतेक पीबैत किएक छी 

                  ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

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मुँह पर दरद आबि जेए  मरद नै

हर बहैत जे  बसि जेए  बरद नै 

जिम्मेदारी घरक  गेल विदेशमे 

‘मनु’ केना बुझलक जेए  दरद नै

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

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पागल हम दुनियामे पियार तकै छी

भलमानुस सब सगर वेपार तकै छी

नै कोनो दाम मनुख  मनुखताकेँ

स्वार्थी लोकसँ ‘मनु’ सरोकार तकै छी

   ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु

मंगलवार, 26 मार्च 2024

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बिनु अहाँक फगुआ कतेक बेरंग अछि 

शेष बचल अहाँक यादेटा संग अछि

एही दुनियासँ  जहन अहाँ चलि गेलौं 

बुझलौं कतेक कठिन जीवनक जंग अछि                

                  ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’    

बुधवार, 22 नवंबर 2023

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आपस क दे ओ हमरा  हमर बितल दिन

किरया तोरा  दे   ओ सगर बितल दिन 

आब ताकै  कतौ नहि  भेटतौ तोरा 

खुशीसँ ‘मनु’क संग जे तोहर बितल दिन 

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

मंगलवार, 21 नवंबर 2023

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हे कृष्ण गोविंद मुरारी मिता हमर 

सगरो दुनिया केर मालिक पिता हमर

छोरि ‘मनु’क करेजा किएक तू गेलअ

घुरि आबअ नहि तँ सजत आब चिता हमर

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 

गुरुवार, 16 नवंबर 2023

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तोरा नहि हम छोड़लौं नहि हम बेवफा

तोरा बिन नहि मरलौं नहि हम बेवफा 

प्राण गेल तोहर बुझि नहि जीवैत ‘मनु’ 

बिन काठीए जरलौं  नहि हम बेवफा 

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

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मीरा केर हरने अहाँ कते दुख छी 

साग खाय विदुरकेँ भेल बड्ड सुख छी 

हे माधव ‘मनु’ केर अपन भक्ति दय दिअ 

सबसँ सुन्नर दुनियामे अहाँक मुख छी 

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023

रुबाइ


पाथर करेजा हमर प्रभु कोमल करु

एतअ रहि अहाँ एहेन सिनेहल करु

संसारक जंजालसँ मुक्ति दय ‘मनु’केँ

अपने चाकरीमे  सदिखन राखल करु 

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शनिवार, 14 जनवरी 2023

जगदानन्द झा ‘मनु’क पच्चीस टा रुबाइ एक्केठाम

रुबाइ 1
आँचर नहि उठाबू आँखिसँ पी दि
हम जन्मसँ पियासल करेज जुड़ब दि
के कहैत अछि निसाँ शराबमे बड़ अछि 
कनी अपन प्रेमक निसाँमे जीबय दि
 
 
रुबाइ 2
हम पीलौं तँ लोक कहलक शराबी अछि 
कहू एतअ के नहि बहसल कबाबी अछि
बुझलौं अहाँ सभ   दुनियाक ठेकेदार 
हमरो  आँखिसँ देखू की खराबी अछि  
 
 
रुबाइ 3
पीब नै शराब तँ हम जी कोना क
फाटल करेजकेँ हम सी कोना क
सगरो जमाना भेल दुश्मन शराबक
सबहक सोंझा तँ आब पीब कोना क
 
 
रुबाइ 4
पीलौं शराब तँ दुनियाँ कहलक बताह 
बिन पीने ई दुनियाँ भेल अछि कटाह
जे नहि पीलक कहाँ अछि ओकरो महल
तँ पिबिए क' किएक नहि बनि जाइ घताह
 
 
रुबाइ 5
भेटल नहि सिनेह   तेँ शराबे पीलौं
दर्शन हुनक हरदम गिलासमे केलौं 
के कहैत अछि शराब छैक खराब ‘मनु’
बिन हुनक रहितौं शराबे सँ हम जीलौं
 
 
रुबाइ 6
ढोलक धम-धमा-धम बजैत किएक छै
घुँघरू खन-खना-खन खनकैत किएक छै
दुनू भीतरसँ छैक एक्केसन  खाली 
दुनू अपन गप्प नहि बुझैत किएक छै
 
 
रुबाइ 7
पीलौं नहि तँ की छै शराब बूझब की 
बिन पीने दुनियाँमे करब तँ करब की 
एक दोसरकेँ सभ अछि खून पीबैत 
खून छोड़ि शराबे पी कय देखब की 
 
 
रुबाइ 8
गोरी तोहर काजर जान मारैए 
छौंरा सभ सगर हाय तान मारैए 
पेएलक बड़ भाग काजर विधातासँ 
तोहर आँखिमे कते शान मारैए 
 
 
रुबाइ 9
काजर बुझि क अपन आँखिमे बसा लि
मित बना क कनीक करेजसँ लगा लि
ऐना जुनि अहाँ   कनखी नजरि घुमाऊ
आँखिक अपन  करीया काजर बना लिअ
 
 
रुबाइ 10
फूसियो जँ कनी अहाँ इशारा करितहुँ
भरि जीवन हम अहीँक बाटमे रहितहुँ
मुस्कीमे अहाँक अपन मोन लूटा क
तरहत्थीपर जान लेने  हम अबितहुँ
 
 
रुबाइ 11
अनकर घर जड़ा हाथ सेकै सभ कियो 
दोसरक करेजा तोरि हँसै सभ कियो 
अपना पर जे बिपति एलै कएखनो 
माथा पकडि हिचुकि-हिचुकि कनै सभ कियो
 
 
रुबाइ 12
कोन बिधि मरि क हम रुपैया कमेलौं
सुख चैन निन्न रातिकेँ अपन हरेलौं
गाम घरक सबटा सऽर संबंध तियागि
बिन कसूरे बाहर    वनवास बितेलौं
 
 
रुबाइ 13
घाट-घाट पर सुतल कतेको गोहि अछि 
साउध लोककेँ मोन लेने मोहि अछि 
धर्मक नाम पर खुजल कतेक दोकान
टाका लs  छनमे सभटा पाप धोहि अछि
 
 
रुबाइ 14
बाबूजीक करेजमे  सदिखन रहलहुँ
हुनक तन मन धन सगरो हम पेएलहुँ 
रौ पानि दाहीसँ सदिखन बचेलन्हि
सेबाक बेड़मे हम परदेश भगलहुँ 
 
 
रुबाइ 15
देह जान सबटा    बाबूजी देलन्हि 
जे किछु छी एखन बाबूजी केलन्हि
अपने रहि भूखे   हमर पेट भरलन्हि
सुधि अपन बिसरि हमरा मनुख बनेलन्हि
 
 
रुबाइ  16   
जे जन्म देलन्हि ओ कहलन्हि गदहा 
जे पोसलन्हि ओ  मानलन्हि गदहा
गदहा जँका सगरो जिन्दगी बितेलहुँ
जिनका बियाहलहुँ ओ बुझलन्हि गदहा 
 
 
रुबाइ 17
मैथिली साहित्यक आँच सुगैत अछि 
सगरो नव विधाक ज्वला पजरैत अछि 
कोटी नमन जिनकर बिछल जारैन अछि 
विदेहक बारल आगि 'मनु' लहकैत अछि
 
 
रुबाइ 18
सिस्टम आइकेँ किए बबाल बनल अछि 
नेता सभ तँ  एकटा जपाल बनल अछि 
बड़ बड़ बागर बिल्ला राज चलबैए
जनताक प्राणेपर सबाल बनल अछि  
 
 
रुबाइ 19
गामक अधिकारी भेला सैंया हमर 
कोना क पकड़तै कियोक बैंया हमर 
सभक पेटीक माल आब हमरे छैक 
सैंया लऽ लेथिन सभटा बलैंया हमर 
 
 
रुबाइ 20 
साँवरिया पिया अहाँ ई की कएलहुँ   
साउन चढ़ल छोड़ि चलि कोना गएलहुँ
बहल हवा शीतल सिहरैए हमर तन 
कोना रहब बिनु अहाँ बुझि नै पएलहुँ  
 
 
रुबाइ 21
गोरी तोर मुस्कीमे छौ जहर भरल 
नै एना मुँह खोल कते घायल परल 
जँ निकैल गएलौ फूलझड़ी सन हँसी 
बाटपर भेटत कतेको छौंड़ा मरल 
 
रुबाइ 22
नैन्हेटा हाथमे केहन लकीड़ छै
नै माय बाप ई केहन तकदीर छै
धो धो कऽ ऐँठ कप लकीड़ो खीएलै
नै सुनलक कियो ई दुनियाँ बहीर छै
 
 
रुबाइ 23
कर्जा कय क जीवन हम जीव रहल छी 
फाटल अपनकेँ कहुना सीब रहल छी 
सभ किछु लूटा क ‘मनु’ अपन जीवनकेँ
निर्लज जकाँ हम ताड़ी पीब रहल छी   
 
 
रुबाइ 24 
भिमन्यु जकाँ   चक्रव्यूहमे फसलौं 
नै बचब सिख हम अर्जुन बनि पेएलौं 
'मनुजीवनकेँ   एही  महाभारतमे
सगरो ठार हम कौरव के देखलौं
 
 
रुबाइ 25
हम जरैत छी    की अहाँ प्रकाशित रही
अहाँक सुख लेल खुशीसँ हम आँच सही 
बातीकेँ जरैत    दुनिया देखलक
तेल बनि हम तँ जरलौं दुख कतेक कही 
✍🏻  जगदानन्द झा ‘मनु’
                       

मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

रुबाइ

नेह पजाड़ल अहाँक धधैक रहल अछि

एसगर करेज हमर तड़ैप रहल अछि 

कोन लगने अहाँसँ  मनु नेह लगेलौं

प्रेमक गरमीसँ देह बरैक रहल अछि

© जगदानन्द झा ‘मनु’

 

 

रविवार, 25 दिसंबर 2022

रुबाइ

घुमि अहाँ कनखीसँ कनि जे ताकि देलहुँ 

अपन तन मन एहि पर हम हारि देलहुँ

आब नहि बैकुंठकेँ रहि गेल इच्छा 

‘मनु’ अहाँके लेल सगरो बारि देलहुँ 

© जगदानन्द झा ‘मनु’

बुधवार, 21 दिसंबर 2022

रुबाइ

धाब जे अहाँ हमर करेजकेँ देलहुँ

 सबटा दर्द दुनियाँसँ नुका लेलहुँ  

मुस्कीसँ हमर नै बुझू जे हम खुश छी

अहाँक खुशी लेल नोरकेँ पी गेलहुँ 

© जगदानन्द झा ‘मनु’

 

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

रुबाइ

देख तोरा सुन्नरी सीटी बजैए 

बन्द धरकन ई कतेकोकेँ करैए 

फालतू परमाणु बम दुनिया बनेलक

तोर कनखीपर मनुख लाखो मरैए 

© जगदानन्द झा ‘मनु’

 

सोमवार, 28 नवंबर 2022

रुबाइ

हम जरैत छी की अहाँ प्रकाशित रही

अहाँक सुख लेल खुशीसँ हम आँच सही 

बातीकेँ जरैत  दुनिया देखलक

तेल बनि हम तँ जरलौं दुख कतेक कही 

© जगदानन्द झा 'मनु' 

 

गुरुवार, 1 मई 2014

रुबाइ

भिमन्यु जकाँ   चक्रव्यूहमे फसलौं 
नै बचब सिख हम अर्जुन बनि पेएलौं 

'मनुजीवनकेँ   एही  महाभारतमे
सगरो ठार हम कौरव के देखलौं

            ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’ 

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

रुबाइ

कर्जा कय क जीवन हम जीव रहल छी 

फाटल अपनकेँ कहुना सीब रहल छी 

सभ किछु लूटा क ‘मनु’ अपन जीवनकेँ

निर्लज जकाँ हम ताड़ी पीब रहल छी   

          ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

रुबाइ



नैन्हेटा हाथमे केहन लकीड़ छै
नै माय बाप ई केहन तकदीर छै
धो धो कऽ ऐँठ कप लकीड़ो खीएलै
नै सुनै कियो ई दुनियाँ बहीर छै 

सोमवार, 7 जनवरी 2013

रुबाइ



गोड़ी तोर मुस्कीमे छौ जहर भरल 
नै एना मुँह खोल कते घायल परल 
जँ निकैल गएलौ फूलझड़ी सन हँसी 
बाटपर भेटत कतेको छौंड़ा मरल