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मंगलवार, 24 सितंबर 2013

बीमारी

बीमारी छल त पुरान मुदा आब जवान भ गेल
जाहि सॅ सब कियो व्यक्ति आब परेषान भ गेल

एहि सॅ बचे के नहिं छे कोनो उपाय
बाजारो में भेटहि नहिं छे कोनो दवाई

कि एहि जगमे फेर नारीके सम्मान हेते ?

नहिं जानि  कहिया धरि एना अपमान हेते
कि एहि जगमे फेर नारीके सम्मान हेते
होइत अछि पूजा लक्ष्मी आ दुर्गाके जाहि ठाम
जुल्म होइत देखलौं हम , नारीपर ओहि ठाम
कि एहि

गीत - सब दिलके पाँछा लागल रहति अछि

दिल अभागल रहति अछि , दिल पागल रहति अछि
किएक सब दिलके पाँछा लागल रहति अछि
दिल दिल होयत अछि , मासूम दिल होयति अछि
तहियो सब दिलके पाँछा लागल रहति अछि
गलती एकर एतबी दिल , दिलसॅ प्यार कएलक

गीत - अहाँक रुप चाँद सन अछि

सभ कहैत अछि अहाँक रुप चाँद सन अछि , हमरासॅ पूछू चंदा अहाँ सन अछि
सभ कहैत अछि बोली कोईली सन अछि ,नहिं कोईलीके बोली अहाँ सन अछि

फूलके महक सभसॅ नीक होयति अछि ,ओ खूशबू कहँा जे अहाँ बदनमे अछि
कथी सॅ तुलना करी अहाँ के फॅुराय नहिं अछि ,

चहटगर गीत


पोर पोर तोहर रस सॅ भरल
यौवन भेलो निखार
सोलह बरस के उमर में सभ
मांगहि छौ प्यार
अपन सजना बना ले गे हे गे गोरकी छउड़ी -2

गीत

शेर - हमरा सॅ जुनि पुछू कतेक प्रेम अछि अहाँ से 
पूछबाक अछि त दिल सॅ पूछू कतेक प्रेम अछि अहाँ से 

गीत
आबू लग त आउ हमर बात सूनू
किछु हम कही किछु अहूँ कहू
हमर मन बेचैन अछि सजनी अहाँ के लेल -2
पहिल बेर जखन हम देखलौं अहाँ के

गीत

माय बाप के सतबियँ जुनि बौआ -2
हमर बात ध्यान सॅ सुन बौआ 
माय बाप के सतबियँ जुनि बौआ
माय छथि जग में देवी , पिता छथि भगवान रौ

जखन ओ मन पड़य छथि

हँसेति छी जेखन ओ मन पड़य छथि 
कानैति छी जेखन ओ मन पड़य छथि

बितलाहा दिन आबि जायक्मअ अछि सोझा 
बहुत ओ जेखन मन पड़य छथि

गीत

गे पसिनियॉ भौजी पिया दे कनीक ताड़ी गे — 4
एक लबनी ताड़ीकेँ  खातिर, किए  करे छें एना गे
तोहर हम परमामेन्ट ग्राहक , किए  करे छें एना गे — 2
काल्हि हम पाइ देबे करबो — 2 आई पिया दे उधारी गे
गे पसिनियॉ भौजी पिया दे कनीक ताड़ी गे —2
बिन ताड़ीकेँ  कोना हम जीयब , ताड़ी हमर जीवन छी
मानय हमर बात गे भौजी , ताड़ी हमर जीवन छी — 2
ताड़ी जौं नहिं पियैम आई त —2 भ जएतो मारामारी गे
गे पसिनियॉ भौजी पिया दे कनी के ताड़ी गे —2
गाछ बला जौं ताड़ी नहिं छउ , आखिसॅ पिया दे गे
पियासल हम छी जनम जनम के , आखिसॅ पिया दे गे
मिसिया भरि मुस्कान पर आशिक — 2 लिख देतौ घड़ारी गे
गे पसिनियॉ भौजी पिया दे कनी के ताड़ी गे — 4

नोट — हमर उद्धेश्य सिर्फ मनोरंजन अछि , कियो गोटे व्यक्तिगत नहिं लेति जौं किनको एतराज छन्हि त आदेश करी ई पोस्ट हटा देलि जायत । धन्यवाद

आशिक ' राज'

शनिवार, 6 जुलाई 2013

गीत

तोहर रुप पूर्णिमा के चान गोरिया
लेलक लेलक हन सभके प्राण गोरिया -2
तोहर आँखिक तीर सभके घायल केलक
ताहु सॅ जे बचल तोहर पायल केलक
कत्ल केलक हन कातिल मुस्कान गोरिया

बुधवार, 3 जुलाई 2013

गीत


लड़का - चलय तीरथ करब चारु धाम गे बहिनी , चलय तीरथ करब चारु धाम
लड़की - मिथिला सन कोनो नहिं धाम यौ भइया , मिथिला सन कोनो नहिं धाम
लड़का - चलय तीरथ करब चारु धाम गे बहिनी , चलय तीरथ करब चारु धाम
लड़की - मिथिला सन कोनो नहिं धाम यौ भइया , मिथिला सन कोनो नहिं धाम
लड़का - पहिने जायब देखब अवधपुर -2 , जनम लेलनि  जेतह श्रीराम गे बहिना
चलय तीरथ करब चारु धाम .........................................
लड़की - अवध से  सुन्दर मिथिला नगरी -2, बहिन सीता के गाम यौ भइया
मिथिला सन कोनो नहिं धाम ..................................................
लड़का - तखन जायब मथुरा वृन्दावन - 2 , रास रचेलेनि जेतह घनष्याम गे बहिना
चलय तीरथ करब चारु धाम ......................................................
लड़की - वृन्दावन सौ सुन्दर जनकक फुलवारी -2 , सुगा पढ़य छई वेद पुरान यौ भइया
मिथिला सन कोनो नहिं धाम........................................................
लड़का - षिवके नगरी देखब काषी -2 , महादेवक प्रिय स्थान गे बहिना
चलय तीरथ करब चारु धाम ......................................................
लड़की - जाहिठाम उगना बनला महादेव - 2 , विद्यापतिके गाम यौ भइया
मिथिला सन कोनो नहिं धाम........................................................
लड़का - साँचे कराओल तु ज्ञान गे बहिनी , मिथिला सन कोनो नहिं धाम
लड़की - मिथिला सन कोनो नहिं धाम यौ भइया , मिथिला सन कोनो नहिं धाम
साथ - मिथिला सन कोनो नहिं धाम यौ भइया (गे बहिनी ) , मिथिला सन कोनो नहिं धाम - 4


लेखक - आशिक ’ राज’ 

बुधवार, 7 नवंबर 2012

गीत

भईया क त अहाँ जगेलिये हमरो भाग्य जगबियो नै
अपना सन सुरतिया भऊजी हमरो लेल तकियौं नै
चान सनक नहिं चाही हमरा , चाही अहीं सन गोर यै
सुगा सनके नहिं चाही , लाल अहीं सन ठोर यै
अहाँ गाम होय जौं भऊजी बात बढ़बियो नै
अपना सन सुरतिया भऊजी हमरो लेल तकियौं नै
गाल पर तिलवा बेषक नहिं होय , होय अहीं सन दिल यै
अहाँ जौं कनिको ध्यान देबय त हेतै नहिं मुष्किल यै
छोट दियर मनक आषा अहाँ पूरबियो नै
अपना सन सुरतिया भऊजी हमरो लेल तकियौं नै
जिनगी भरि हम पैरि दबायब , रहब अहसानमन्द यै
अपने सन दियादिनी भऊजी करयौ नहिं पसन्द यै
एहि लगन में आशिक के भऊजी बिआह करबियौ नै
अपना सन सुरतिया भऊजी हमरो लेल तकियौं नै
भईया क त अहाँ जगेलिये हमरो भाग्य जगबियो नै
अपना सन सुरतिया भऊजी हमरो लेल तकियौं नै

आशिक ’राज’

शनिवार, 3 नवंबर 2012

रुबाई

जतय सॅ नहिं कियो आबेति अछि  ओतह चलि गेलीह
जतय चिटिठयो नहिं जा सकय अछि तेतह चलि गेलीह
कियैक चुप छी अहाँ सभ , कियैक नहिं बाजेति छी
हमरा छोडि़ के हमर प्राण कतह चलि गेलीह

आशिक ’राज’

गजल

अखनो अहीं के आस में जीब रहल छी हम    
विरह के जहर आब पीब रहल छी हम

बिसरला के पछातियो मोन पड़ेति होयत
मोन पारु कि कतेक करीब रहल छी हम

सबकिछु होयतो किछुूओ नहिं अछि हमरा
अहाँ के बाद एतेक गरीब रहल छी हम

कतहु रही खुष रही और हमरा की चाही
साँस चलेति अछि और जीब रहल छी हम

कियो नहिं पतियेते और अहुँ नहिं मानब
कोना एक दोसर के नसीब रहल छी हम

सरल वार्णिक बहर
वर्ण - 17
आशिक ’राज’

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

गीत

शेर -
पोसि पालि के जकरा कएलौं हम जवान
समाज के ई रीत केहेन भ गेल ओ आन

द्विरांगमन गीत

आई सॅ माई बाप भएलौं तोहर सासु ससुर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 
माई कानय अछि सुगा सुगा बाबु ल माथ पर हाथ गे
भउज कानेति अछि गरदनि पकडि़ के भईया जाइछौ साथ गे
सिसकि सिसकि क धीया कानेति
पूछेति कोन कसूर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 
कियो कानय अछि गुलाब गुलाब कियो पान कियो भईया
सभ मिल पूछत माई सॅ सबदिन बहिना के अनबे कहिया
संगी बहिनपा छूटल सबटा
भ रहल अछि सबसॅ दूर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 
सासुर जा के रखियँ बेटी बाबा माथक पाग गे
ननदि दियादिनी सॅ घुलिमिलि जईयँ आबो नहिं नईहर याद गे
अखंड भगवान राखौ तोहर
माथक सिनूर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 
आई सॅ माई बाप भएलौं तोहर सासु ससुर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 

नोट - जौं कियो गाबय चाहेति छी त हरेक पाँति दू बेर आ जे पँाति अंडरलाईन अछि ओ आरोह में बाकी अवरोह में गाबी ओना आगाँ अहाँ सबहक इच्छा । धन्यवाद


आशिक ’राज’


मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

गजल

जैं मिथिला मे ई व्यवहार चलेति अछि
तैं बरक एखन व्यापार चलेति अछि

बेटा बला बेटा के हाट चढ़बैति छैक
लोक किनय लेल तैयार रहेति अछि

अहाँ जुनि पुछु गलती अछि किनकर
कहत पूर्वहि व्यवहार चलेति अछि

जौं मिसियो भरि कमी भ गेल दहेज में
कनियाँ बहुतेक हजार भेटेति अछि

तैं आईकाल्हि कोइखे में मारि देति अछि
आब सौंसे अहिना संसार चलेति अछि

एकर कारण सभ बैसि ताकय जाउ
दहेजक लोभी ई विचार चलेति अछि

सरल वार्णिक बहर
वर्ण - 15

नोट - मित्र के डायरी स लेल गेल ।

आशिक ’राज’

रुबाइ

राति में चान उगेति अछि जेहेन लागल
दिन में फूल खिलेति अछि तेहेन लागल
पूछलहूँ अहाँ , बिना देखने कोना कहब
आइना देखू आ कहू हमर प्रेयसी केहेन लागल

स्वप्न सुंदरी क लेल

आशिक राज

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

गजल


कहलियनि अपन दिल दिय कहलथि आई नै देब
हमर दिल क किछु दिय कहलथि एको पाई नै देब

अहाँ क नहिं अछि पसिन त  हमर दिल वापिस करु
ओ मुँह बना हँसेति कहलथि अँगुठा देखाई नै देब

पूछलियनि दिल ल के दिल नंिह दी कतुका इंसाफ छी
हमर मर्जी हम किछु करी कहथि छिरियाई नै देब

हमरा तामस उठल कहलियनि जाउ एहिठाम सॅ
आई क बाद कखनहँु अपन सूरत देखाई नै देब

कानेति शगि गेलीह तेखने आईधरि नै देखलियनि
एतबी कहलीह दर्द दएलौ एकर दवाई नै देब 

एतबी इच्छा बस एक बेरि कतौ ओ श्ेंटि श् जईतथि 
अपन सपथ खा क कहेति छी हुनका जाई नहिं देब

अहाँ सभ मीत थिकहँु हमर तखन एगो बात कहू
अंतिम समय क हमर अतिंम इच्छा पुराई नै देब

प्राण अटकल अछि हमर बस हुनका देखय लेल
कलजोडि़ कहि रहल आशिक की हुनका बजाई नै देब

सरल वार्णिक बहर
वर्ण - 21

आशिक ’राज’

सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

गजल

हँसि हँसि के मारि गेल त हम कि करी
जीबते कियो जारि गेल त हम की करी

बहकि त गेल छलहुँ हुनका देखि के
खसति ओ सम्हारि गेल त हम की करी

मोन हमर भीजल पुआर जकाँ छल
मुदा आगि पजारि गेल त हम की करी

रुप हुनक आँखिक सोझा रहति अछि
हुनका नै बिसारि भेल त हम की करी

देखते देखेत ओ दीवाना बना देलक
मन मोहिनी नारि भेल त हम की करी

सिनेहक बात सुनाबय के मोन छल
पहिले तकरारि भेल त हम की करी

आब सभ गरिया के चलि जायत अछि
भाइये सॅ अराडि़ भेल त हम की करी


-------- वर्ण15 --------

आशिक ’राज’

शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

गजल

माए ओढ़ना ओढ़ा दे हम सूतय छी
आब हमरा छोडि़ दे हम सूतय छी

सभ दिन मन पड़ैति अछि ई बात
थाकल राति जखन हम सूतय छी

दिन त डयूटी में बीति जायत अछि
बितेति नै अछि राति हम सूतय छी

सूतय त छी  नींद कहाँ होयति अछि
कखन होयत प्रात हम सूतय छी

कहलहुँ जे एखन जुनि तंग करु
भोर मे आयब याद हम सूतय छी

रातिमें भरि राति सपना में छलीह
तैं नहिं जागब आब हम सूतय छी 

-------- वर्ण14 --------
सरल वार्णिक बहर
आशिक ’राज’