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गुरुवार, 1 नवंबर 2012

गीत

शेर -
पोसि पालि के जकरा कएलौं हम जवान
समाज के ई रीत केहेन भ गेल ओ आन

द्विरांगमन गीत

आई सॅ माई बाप भएलौं तोहर सासु ससुर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 
माई कानय अछि सुगा सुगा बाबु ल माथ पर हाथ गे
भउज कानेति अछि गरदनि पकडि़ के भईया जाइछौ साथ गे
सिसकि सिसकि क धीया कानेति
पूछेति कोन कसूर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 
कियो कानय अछि गुलाब गुलाब कियो पान कियो भईया
सभ मिल पूछत माई सॅ सबदिन बहिना के अनबे कहिया
संगी बहिनपा छूटल सबटा
भ रहल अछि सबसॅ दूर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 
सासुर जा के रखियँ बेटी बाबा माथक पाग गे
ननदि दियादिनी सॅ घुलिमिलि जईयँ आबो नहिं नईहर याद गे
अखंड भगवान राखौ तोहर
माथक सिनूर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 
आई सॅ माई बाप भएलौं तोहर सासु ससुर
बेटी जा रहल सासुर  बेटी जा रहल सासुर 

नोट - जौं कियो गाबय चाहेति छी त हरेक पाँति दू बेर आ जे पँाति अंडरलाईन अछि ओ आरोह में बाकी अवरोह में गाबी ओना आगाँ अहाँ सबहक इच्छा । धन्यवाद


आशिक ’राज’


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