जतय सॅ नहिं कियो आबेति अछि ओतह चलि गेलीह
जतय चिटिठयो नहिं जा सकय अछि तेतह चलि गेलीह
कियैक चुप छी अहाँ सभ , कियैक नहिं बाजेति छी
हमरा छोडि़ के हमर प्राण कतह चलि गेलीह
आशिक ’राज’
जतय चिटिठयो नहिं जा सकय अछि तेतह चलि गेलीह
कियैक चुप छी अहाँ सभ , कियैक नहिं बाजेति छी
हमरा छोडि़ के हमर प्राण कतह चलि गेलीह
आशिक ’राज’
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