हम छी मिथीलाक बेटी हमर की दोस अछी
अहाँ हमरा सँ प्रेम केलौ कहु हमर की दोस अछी
अहाँक पिताजी माँगै छथि दहेज
हमर पिताजी छथि निर्धन कहु हमर की दोस अछी
क निर्धन केर बेटी सँ प्रेम- वीलाप
आब भेलौ कठोर कहु हमर की दोस अछी
मन में बसी अहाँ भेलौ निठुर
हमर जीनजी केलो बेकार कहु हमर की दोस अछी
टुतल मोन झरै या नयन सँ नोर
नै रुकै या नोर कहु हमर की दोस अछी
हमर नोर देखी हंसै या लोक
हम कनैत छि हुनक हंसी सँ कहु हमर
रवि मिश्रा
मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित Maithiliputra- Dedicated to Maithili Literature and Language
रवि मिश्रा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रवि मिश्रा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 20 मार्च 2012
रवि मिश्रा जिक प्रस्तुति
सदस्यता लें
संदेश (Atom)