हम छी मिथीलाक बेटी हमर की दोस अछी
अहाँ हमरा सँ प्रेम केलौ कहु हमर की दोस अछी
अहाँक पिताजी माँगै छथि दहेज
हमर पिताजी छथि निर्धन कहु हमर की दोस अछी
क निर्धन केर बेटी सँ प्रेम- वीलाप
आब भेलौ कठोर कहु हमर की दोस अछी
मन में बसी अहाँ भेलौ निठुर
हमर जीनजी केलो बेकार कहु हमर की दोस अछी
टुतल मोन झरै या नयन सँ नोर
नै रुकै या नोर कहु हमर की दोस अछी
हमर नोर देखी हंसै या लोक
हम कनैत छि हुनक हंसी सँ कहु हमर
रवि मिश्रा
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