मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

रविवार, 11 मार्च 2012

गजल

किस्त-किस्त में जिनगी बिताबै लेल मजबूर छी
माटि पानि छोरि अपन, किएक एतेक दूर छी

आबै जाए जाउ घुरि-घुरि अपन-अपन घर
घर में रोटी नै, रखने माछ-भात भरपूर छी

तिमन-तरकारी बेच-बेच करू नै गुजरा यौ
घुरि आऊ अपन गाम, एतुका अहाँ हजूर छी

परदेश में बनि कतेक दिन रहब परबा
अपन घर आऊ, एतए के अहाँ तs गरूर छी

अपन लोकक मन-मन में मनु अहाँ बसुयौ
परक द्वारि पर बनल किएक मजदुर छी
***जगदानन्द झा 'मनु'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें