मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

मंगलवार, 27 मार्च 2012

गजल


मोनक आस सदिखन बनि कऽ टूटैत अछि।
किछु एना कऽ जिनगी हमर बीतैत अछि।

मेघक घेर मे भेलै सुरूजो मलिन,
ऐ पर खुश भऽ देखू मेघ गरजैत अछि।

हम कोना कऽ बिसरब मधुर मिलनक घडी,
रहि-रहि यादि आबै, मोन तडपैत अछि।

देखै छी कते प्रलाप बिन मतलबक,
चुप अछि ठोढ, बाजै लेल कुहरैत अछि।

मुट्ठी मे धरै छी आगि दिन-राति हम,
जिद मे अपन, "ओम"क हाथ झरकैत अछि।
(बहरे-कबीर)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें