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रविवार, 18 मार्च 2012

गजल

प्रस्तुत अछि रूबी झाजिक एकटा गजल सरल वार्णिक बहर में

जग में बेटी के सम्मान भेटै कहियो
माई बापक अभिमान भेटै कहियो

माँ केर कोईख सँ लेलें दुनु जनम
मुदा अधिकार समान भेटै कहियो

भैर देश के आई सम्हारने छै बेटी
अपन समाजो में मान भेटै कहियो

पहुँच गेलै बेटी अंतरिक्ष अखन
वसुंधरा पर सम्मान भेटै कहियो

भेल चौपट मिथिला दहेज प्रथा सँ
दहेज़ बिनु वरदान भेटै कहियो

घुटि मरे "रूबी" पुरुखक समाज में
एको दिन नारी प्रधान भेटै कहियो

रुबी झा

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