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मंगलवार, 6 मार्च 2012

“जय मिथिला जय मैथिली” के हुनक पहिल स्थापना दिवस पर समर्पित स्वागत पुष्प




मिथिला के हम वासी मैथिल,
मिथिला अछि बड्ड पुण्यक धाम,
उमा रमा बनि धिया उतरलइथ,
आ बनली शिव राम के बाम।

जय मिथिला जय मैथिली भाषा,
जतय शांति-प्रेम पौलइथ परिभाषा,
मोह-कपट-छल-छद्म जतय नहि,
पूर्ण जतय हृदयक सब आशा।

संस्कार जतय हृदय बसई अछि,
कर’, कर्म मे निरत रहइत अछि,
चिंतन मे नित ईशक वास,
सत्कर्म मे अछि सबहक विश्वास।

किये से मिथिला आइ उजैर गेलई?
किये मिथिला के एहेन पतन भेलई?
किये ज्ञानक गंगा ठमकि गेलई?
किये सब मानवता बिसरि गेलई?

कलियुग अछि मिथिलो मे आयल,
संस्कार जतय-ततय हेरायल,
बिसरल मानव, मानवताक मोल,
हेरा देलहु किछु धन अनमोल।

शुश्रुत, विदेह के पुनः बजाबय,
आर्यभट्ट, अयाचीक के फेर स जगाबय,
घोषा, अपाला, भारती के लाबय,
फेर स शंख पांचजन्य बजाबय,

विश्व-पटल पर मिथिला के पहुंचाबय,
मैथिली के जन-जन के भाषा बनाबय,
मिथिला मैथिली के दियाबइल सम्मान,
भेल “जय मिथिला जय मैथिली” क निर्माण।

नवयुवकक अछि ई पुकार,
नहि केवल पुकार, सिंहक दहाड़,
चलु भेल भोर निद्रा त्यागु,
अहि मुहिम मे चलु आगु-आगु।

नहि भेटत पुनः माँ के सेवाक वरदान,
पूर्ण करू हृदयक अरमान,
समस्त मैथिल के एक सूत्र मे बान्हय,
अमित करू “जय मिथिला जय मैथिलीक संग प्रयाण।

हमर ई रचना जय मिथिला जय मैथिली” ग्रुप जे मैथिल कला, संस्कृति, लोक-व्यवहार आदि के उत्थान के हेतु कृतसंकल्पित अछि, के हिनक पहिल स्थापना दिवस पर हमरा सब “जय मिथिला जय मैथिली” परिवार के तरफ से छोटछिन उपहार।

रचनाकार- अमित मोहन झा
ग्राम- भंडारिसम(वाणेश्वरी स्थान), मनीगाछी, दरभंगा, बिहार, भारत।

नोट..... महाशय एवं महाशया से हमर ई विनम्र निवेदन अछि जे हमर कुनो भी रचना व हमर रचना के कुनो भी अंश के प्रकाशित नहि कैल जाय।
                            
                              (“जय मिथिला जय मैथिली परिवार”)

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