बेटी नहि होइ दुनिआ में, कहु बेटा लाएब कतए सँ
जँ दीप में बाती नहि तँ, कहु दीप जलाएब कतए सँ
आबै दियौ जग में बेटी के, के कहे ओ प्रतिभा,इन्द्रा होइ
भ्रूण-हत्या करब तँ कल्पना,सुनीता पाएब कतए सँ
मातृ-स्नेह, वात्सलके ममता, बेटी छोरि कें दोसर देत
बिन बेटी वर कें कनियाँ कहु कोना लाएब कतए सँ
धरती बिन उपजा कतए, घर बिनु कतए घरारी
बिन बेटी सपनो में, नव संसार बसाएब कतए सँ
हमर कनियाँ, माए बाबी हमर किनको बेटीए छथि
बिन बेटी एहि दुनिआ में, मनु हम आएब कतए सँ
जगदानन्द झा 'मनु'
जँ दीप में बाती नहि तँ, कहु दीप जलाएब कतए सँ
आबै दियौ जग में बेटी के, के कहे ओ प्रतिभा,इन्द्रा होइ
भ्रूण-हत्या करब तँ कल्पना,सुनीता पाएब कतए सँ
मातृ-स्नेह, वात्सलके ममता, बेटी छोरि कें दोसर देत
बिन बेटी वर कें कनियाँ कहु कोना लाएब कतए सँ
धरती बिन उपजा कतए, घर बिनु कतए घरारी
बिन बेटी सपनो में, नव संसार बसाएब कतए सँ
हमर कनियाँ, माए बाबी हमर किनको बेटीए छथि
बिन बेटी एहि दुनिआ में, मनु हम आएब कतए सँ
जगदानन्द झा 'मनु'
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