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मंगलवार, 20 मार्च 2012

गजल

प्रस्तुत अछि रूबी झाजिक एकटा गजल सरल वार्णिक बहर में

तरहत्थी दीप जरा हम ठारै छलौ,
अहाँक जोहैत रस्ता हम ठारै छलौँ ,

अहाँ आएब एहि बाटे फुईसे छलै ,
लेलौं किए हाथो पका हम ठारै छलौँ ,

कठोर अहाँ देखलौं नै आँखिक नोर ,
मुदा कानि आँखि फुला हम ठारै छलौँ ,

हमर दर्दक मोल नै जनलौ अहाँ ,
कनी बुझितहुँ व्यथा हम ठारै छलौँ ,

अहीं केर आशमें जँ मरब कहियो ,
नै आनब नामो कदा हम ठारै छलौँ ,

बेदर्दी अहाँ दर्द बुझब कि हमर,
मुदा व्यर्थ पिडा बता हम ठारै छलौँ|

-----------वर्ण -१४ ---------
रूबी झा

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