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सोमवार, 26 मार्च 2012

गजल

कनि मनमे बसा तँ लिअ

प्रेमक लय लगा तँ लिअ

 

हम जन्मेसँ छी टुगर

नै हमरा कना तँ लिअ 

 

सदिखन छी अहाँ हमर 

ई हमरो जता तँ लिअ 

 

बीते राति नै दिवस 

आ जीवन बचा तँ लिअ 

 

कोना जीब बिन अहाँ

प्राणेश्वर बना तँ लिअ

 

अछि ई नोर  विरहके

संयोगक सजा तँ लिअ

 

‘मनु’केँ छी अहाँ सदति

ई सभकेँ बता  तँ लिअ

(मात्राक्रम : 2221-212)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

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