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शनिवार, 17 मार्च 2012

गजल

प्रस्तुत अछि रूबी झाजिक एकटा गजल सरल वार्णिक बहर में

सगरो नगरी मे कतेक , शोर भs गेलए
हुनक रुपक इजोत सँ , भोर भs गेलए

यौबन केर रौद चम-चम चमकै एना
नहा इजोरिया, रसीक चकोर भs गेलए

केखनो गुदरी ज्यो फाटल, लेलैंह पहीर
देह हुनकर सजल , पटोर भsगेलए

अनुपम सुन्नैर लगैत जेना ओ अप्सरा
मेनका के रुप जेना कोनो ठार भsगेलए

वो लेलेन अन्गराई ,करेज बुढबो पिटे
छौरा देखैक लेल त हलखोर भsगेलए
--- -- -- -- -- - --वर्ण -१६ --- -- -- -- --
रुबी झा

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