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सोमवार, 26 मार्च 2012

गजल

प्रस्तुत अछि रूबी झाजिक गजल

बसल मोन ओ श्वास जकाँ
गरल कोंढ ओ फाँस जकाँ

हम बुझी मजरल आम
ठार ओ तs भेला बाँस जकाँ

बनि एता बयार शीतल
बहल ओ जेठ मास जकाँ

गमकैत एता ओ सुगन्धे
आएल ओ तेल झाँस जेकाँ

सुनबा चाहि ध्वनि मधुर
बाजल ओ स्वर टाँश जकाँ

प्रेमक आश थोर भs गेल,
भs गेल सबटा नास जकाँ

(सरल वार्णिक वहर, वर्ण-१० )
रुबी झा

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