की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

शनिवार, 26 नवंबर 2011

हमरा मिथिला राज चाही


भीख नहि अधिकार चाहीहमरा मिथिला राज चाही 
जे हमर अछि खूनमे  खूनक अधिकार चाही 

जनक वाचस्पतिकेँ पुत्र हमहमर चुप्पीकेँ नै किछु आओर बुझू
शांतचित्त हम समुद्र सनहमर क्रोधकेँ सोनित चाही 

सिंह सन हम बलवान रहितोमेघ सन हम शांत छी 
 जुनि बिसरी ऊधियाइत मेघकेँमुठ्ठीमे संसार चाही

जाहि कोखिसँ सीता छथि जनमलओहि कोखिक संतान छी 
बाँहिमे प्रज्वलित अछि अग्णिबस एकटा संकेत चाही 

भूखसँ व्याकुल छी,   मुदा उठाएब नहि फेकल टुकड़ी 
कर्ण बनि जे नहि भेटल ममता केर अधिकार चाही

माए मैथिली रहती किएक,  निसहाय एना एतेक दिन 
होम करे जे तन मन अप्पन 'मनु' लव कुश सन संतान चाही
जगदानन्द झा 'मनु'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें