की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

सोमवार, 28 नवंबर 2011

कविता-एक दिन हमहूँ मरब


एक दिन हमहूँ मरब
दुनियाँ कए सुख-दुख छोइर कए
निश्चिन्त हेवा हेतु
देखै हेतु दुनियाँ में अपन प्रतिमिम्ब
कए ख़ुशी होइए कए दुखी होइए
एक दिन हमहूँ मरब
देखै लेल समाज में
हमर की स्थान छल
देखै लेल किनका ह्रदय में
हमर की स्थान छल

एक दिन हमहूँ मरब
करए लेल अपन पापक हिसाब
हमर पाप सँ कए कुपित छल
कए क्रोधित छल
कए द्रविल-चिंतित छल
कए खुसी छल
कए दुखी-व्यथित छल

एक दिन हमहूँ मरब
परखै हेतु अपन ह्रदय
अपन स्नेही-स्वजनक ह्रदय
अपन मितक ह्रदय
अपन अमितक ह्रदय
*** जगदानंद झा 'मनु'
-------------------------------------------------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें