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शुक्रवार, 2 मार्च 2012

*+* गजल *+*

‎ की भाइ, किछु लिखै छी तs गजल लिखू ,
धुन-ताल कए फुल सँ सजल लिखू ,
प्रेम करै छी बड अहाँ आ शायरी नै ,
प्रेम प्रगाढ़ हेएत पल-पल लिखू ,
खुशी- गम संग सब रंग समाजक .
धोरि एक्के घैला मे ताड़क जल लिखू ,
कल्पना कते दिन टिकतै ,दिल सँ लिखू ,
गामक हवा मे साँस लs गजल लिखू ,
सबहक मोन मे उठै नव तरंग ,
फाग रंग-अबिर लगा अटल लिखू ,
बड भेल प्रेम आ शराबक गजल ,
समाज उत्थान लेल भs बेकल लिखू ,
किछ नव शीर्षक नव शब्द चुनि कs ,
" अमित" नव समाज मे रमल लिखू . . . । ।
अमित मिश्र

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