बसलौं परदेश में हम खोबाडी पर
दूध-दही पान मखान सब छोरि एलौं
छी पेट पोसने तs दु-टुक सुपारी पर
जे किछ कमेलौं हाथ-पएर तोरि कय
साँझ परैत खर्च भेल छूछे तारी पर
बचेलौं बर्ख भरि पेट काति-काति कय
गमेलौं गाम जए-आबक सबारी पर
छोरु दोसरक आसा अपन बसाऊ यौ
घुरि आउ मनु सोनसन घराडी पर
***जगदानन्द झा 'मनु'
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- Manish Jha Bauabhai wah wah anand ka deliyai.
Neek gazal apna sabhal lachri par - Anshu Kumar mithlanchal ke zamini schaee ke je apnek bkhan kelun achhi. se bad nik lagal....
- Anshu Kumar mithlanchal ke zamini schaee ke je apnek bkhan kelun achhi. se bad nik lagal....
- Anshu Kumar mithlanchal ke zamini schaee ke je apnek bkhan kelun achhi. se bad nik lagal....
प्रवासी मैथिल लोकनिक बहुत सजीव चित्रण ।
जवाब देंहटाएंमोनक भाब बुझहक हेतु अपनेक सादर धन्यवाद
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