की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

मंगलवार, 13 मार्च 2012

गजल

नरहीया भुकैए हमर घराडी पर
बसलौं परदेश में हम खोबाडी पर

दूध-दही पान मखान सब छोरि एलौं
छी पेट पोसने तs दु-टुक सुपारी पर

जे किछ कमेलौं हाथ-पएर तोरि कय
साँझ परैत खर्च भेल छूछे तारी पर

बचेलौं बर्ख भरि पेट काति-काति कय
गमेलौं गाम जए-आबक सबारी पर

छोरु दोसरक आसा अपन बसाऊ यौ
घुरि आउ मनु सोनसन घराडी पर
***जगदानन्द झा 'मनु'
-----------------------------------


2 टिप्‍पणियां: