मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

गजल

हँसि हँसि के मारि गेल त हम कि करी
जीबते कियो जारि गेल त हम की करी

बहकि त गेल छलहुँ हुनका देखि के
खसति ओ सम्हारि गेल त हम की करी

मोन हमर भीजल पुआर जकाँ छल
मुदा आगि पजारि गेल त हम की करी

रुप हुनक आँखिक सोझा रहति अछि
हुनका नै बिसारि भेल त हम की करी

देखते देखेत ओ दीवाना बना देलक
मन मोहिनी नारि भेल त हम की करी

सिनेहक बात सुनाबय के मोन छल
पहिले तकरारि भेल त हम की करी

आब सभ गरिया के चलि जायत अछि
भाइये सॅ अराडि़ भेल त हम की करी


-------- वर्ण15 --------

आशिक ’राज’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें