की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

गजल


आँखिसँ नोर खसाबै छी किया एना
मोती अपन लुटाबै छी किया एना

खाली बातसँ भेंटत नै किछो एतय
तखनो बात बनाबै छी किया एना

सुनि बेथा तँ मजा लेबे करत दुनिया
बेथा अपन सुनाबै छी किया एना

अपने सीबऽ पडत फाटल करेजा ई
अनकर आस लगाबै छी किया एना

अमृतक घाट तकै छी बिखक पोखरिमे
अचरज "ओम" कराबै छी किया एना

(दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व) + (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ) + (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ)
(मफऊलातु-मफाईलुन-मफाईलुन)- १ बेर प्रत्येक पाँतिमे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें