मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

गजल

सुरशाक मुँह बेएने महगाइ मारलक 
बरख-बरख पर पाबि  बधाइ मारलक 

छलहुँ भने बड़ नीक  बिन बन्हले कतेक 
गोर-नार कनियाँ संगक सगाइ मारलक 

झूठक रंगमे डूबि जीबितहुँ कतेक दिन 
रंग ह्टैत देरी झूठक बड़ाइ मारलक 

सुधि बिसरि कए सभटा निसामे बहेलहुँ 
दिन राति पीया कए गाम गमाइ मारलक 

भौतिक सुखमे डूबल 'मनु' सगरो दुनियाँ
जतए ततए फरजीकेँ उघाइ मारलक     

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१७)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें