दर्दकेँ नै तँ बुझलहुँ अहाँ
दाँतकेँ बीचमे जीभ सन
मोनमे अपन मुनलहुँ अहाँ
प्रेमकेँ नै किए चिन्हलहुँ
देख मुह हमर घुमलहुँ अहाँ
स्नेह आ प्रेम सभटा बिसरि
मोनकेँ तोरि झुमलहुँ अहाँ
हाथ संगे खुशीकेँ पकरि
हृदय मनुकेँ तँ खुनलहुँ अहाँ
(बहरे मुतदारिक, २१२-२१२-२१२)
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