विरह के आगि में जरि रहल छी हम
मिलन के आस में मरि रहल छी हम
आँगुर पकडि़ चलनाय सिखऔलक
सहोदर भाईसॅ लडि़ रहल छी हम
कतौ चोरि कतौ डकैती कतौ बलात्कार
रोज अखबार में पढि़ रहल छी हम
कमाईत कमाईत रग टूटि गेल हन
मूड़ क छोड़ू ब्याजे भरि रहल छी हम
अपनो कनियाँ कैटरीना सॅ कम नहिं
दोसर के देखि क जरि रहल छी हम
------वर्ण 15-------
सरल वार्णिक बहर
आशिक ’राज'
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