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सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

गजल




जकर मोनक रावण नै मरलै
राम आजुक कोना ओ बनलै

डशल साँपक पइनो मंगै छै
डशल मनुखक कनिको नै कनलै 

गेल आँगन घर सभ पलटै छै
मोन भेटत कोना जे जड़लै

हाथ रखने सभतरि भस्मासुर 
निकलितो साउध बाहर डड़लै

छोड़ि ढेपापर चुगला 'मनु'केँ
शहर दिस नेन्ना भुटका भगलै

(२१२२-२२-२२२)

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