मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

कविता - भरल चगेंरी मुरही चुरा


                          || तिलासंक्रान्ति ||
                      " भरल चगेंरी मुरही चुरा "
                                       

उठ - उठ बौआ रै निनियाँ तोर ।
अजुका   पाबनि   भोरे   भोर ।।
पहिने  जेकियो   नहयबे  आई ।
        भेटतौ तिलबा रे मुरही लाइ ।।  उठ....

ई पावनि छी मिथिलाक पावनि
सब  पावनि   सं   बड़का  छी ।
भरल     चगेंरी      मुरही     चुरा
तिलवा   लाई   उपरका   छी ।।

उपर  देहिया  थर - थर  काँपय
        भीतर मनुआँ भेल विभोर ।।  उठ....

   चहल पहल भरि मिथिला आँगन
 अइ पावनि के  अजब मिठाई ।
आई   देत   जे   जतेक   डुब्बी
 भेटतै   ततेक   तिलबा  लाई ।।

मुन्ना   देखि  भरय   किलकारी
            जहिना वन में कोइलिक शोर ।।  उठ...

बुढ़िया   दादी   बजा   पुरोहित
छपुआ साडी   कयलक दान ।
तील चाऊर बाँटथि मिथिलानी
    एहि पावनि केर अतेक विधान ।।

     "रमण" खिचड़ी केर चारि यार संग
              परसि रहल माँ पहिर पटोर ।।  उठ......

  गीतकार
     रेवती रमण झा "रमण"
   

  


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें