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मंगलवार, 10 जनवरी 2012

नहि हम कोनो शायर छी

नहि हम कोनो शायर छी .
नहि हमर कोनो शायरी .
अपन जीन्दगी आइना मिता .
अपन छै एगो डायरी
हम जतए कतौ जाइ छी
देखै छी बस तोरा .
तु ही बनल छहीँ हमर गजल
शायर सब कहै हमरा .
हमर लिखाबट तु ही
छेँ
तोरे छौ शायरी . . . .
अपन जीन्दगी आइना मिता अपन छै एगो डायरी ...

दिल के चलते मजबुर छी
जे किछु कहलक लिख देलौँ .
तोहर झिल सन आँखि मे
जे किछु देखलौँ लिख देलौँ .
तु ही छहीँ जन्नत हमर
तोरे छौ इ जीन्दगी . . .

अपन जीनगी आइना मिता अपन छै एगो डायरी . .
नहि हम कोनो शायर छी नहि हमर कोनो शायरी । ।

{ अमित मिश्र}

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